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18.11.07

दुख में ये साथी भी शामिल हैं........

नीरज के परिजनों की मदद के लिए हजार रुपये की मदद की पेशकश कुछ और साथियों ने की है,उनके नाम इस तरह हैं-
विशाल शुक्ला, कोलकाता
अशोक मधुप, बिजनौर
जितेंद्र चौधरी, कुवैत

(यहां एक बात का उल्लेख करना चाहता हूं कि दिवंगत नीरज का परिवार आर्थिक रूप से समृद्ध है और उन्हें किसी मदद की दरकार नहीं है, इस आधार पर कुछ साथियों का कहना है कि यशवंत, यह बेकार की कवायद कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह सही है कि हम जो मदद कर रहे हैं उससे कुछ ज्यादा होने वाला नहीं है लेकिन इस दुख के मौके पर हम सभी पत्रकार और गैर पत्रकार और नीरज के परिजनों के शुभेच्छु एकजुट होकर कोई पहल कर रहे हैं तो इसके पीछे आर्थिक मकसद शायद कम महत्वपू्र्ण है, दुख की घड़ी में हम लोगों की सामूहिक ताकत नीरज के परिजनों के साथ दिखना ज्यादा बड़ी बात है। आप सभी लोग क्या सोचते हैं,कृपया अवगत करायें।)

2 comments:

Jitendra Chaudhary said...

मेरे विचार से पैसा इतना महत्वपूर्ण नही, जितना कंधे से कंधा मिलाकर इस दु:ख की घड़ी मे शोक संतप्त परिवार के साथ खड़ा होना। हो सकता है अभी पैसों की उनको जरुरत ना हो, लेकिन फिर भी हम लोग ये जो पैसा इकट्ठा कर रहे है, उससे उनके बच्चों के नाम कोई फ़िक्सड डिपाजिट कराके दे ही सकते है। जिससे भविष्य मे उनको फायदा पहुँचें।
बाकी जैसा सभी भाई लोग डिसाइड करें।

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

यशवंत जी, नीरज जी के परिवार के लिए आप लोगों ने कुछ करने का सोचा है, इसके लिए साधुवाद. मैं भी कुछ आर्थिक मदद करना चाहती हूँ, जो भी तरीका ho मुझे अवगत करा दे.