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22.12.07

हर भड़ासी है स्वामी भड़ासानंद

अभी मैं भड़ास पर भड़ासियों से लिखने पोस्ट लिख ही रहा था कि डा. पंकज मिश्रा ने भड़ास के चूतियापे उर्फ बुद्धिमानी में खुद को शामिल करने के अनुरोध संबंधी दो लाइन की पोस्ट लिखकर यह बता दिया है कि एक और जोरदार भड़ासी भड़ास परिवार में शामिल होने वाला है। पंकज जी, चूतियापे में आपका स्वागत है, बुद्धिमानी दिखाते रहियेगा....।

और हां, ये पोस्ट मैं इसलिए लिख रहा था कि एक साथी का फोन आया था। बोले--भई यशवंत, खूब ड्रामा किए हो भड़ास पर। अपनी फोटो डाल के अपनी तारीफ शुरू कर देते हो। मैं थोड़ा सकुचाया लेकिन उतनी ही विनम्रता से कहा--भई फलाने, भड़ास मेरा नहीं बल्कि इस वक्त 88 लोगों का है और ये सारे 88 लोग स्वामी भड़ासानंद हैं। मैंने तो अपनी फोटो और कैप्शन डालकर शुरूआत भर की है, अगर आप चाहते हैं अपनी किसी नई स्टाइल वाली फोटो को भड़ास पर डालना तो बेहिचक डालिए। ये तो फ्री स्पेस है, हर मीडियाकर्मी के लिए। मेरे मूड में तो जो आता है, वो करता हूं, बिना डरे, बिना हिचके, बिना किसी की परवाह किए और मैं देखता हूं कि नतीजा हमेशा सही आता है। अगर आप सही करते हैं, दयालु हैं, दूसरों का भला करते हैं, मन में कोई पाप नहीं रखते, दिल में कोई बात नहीं रखते तो आप तो संत की ही तरह हैं। संत होता क्या है, सबसे बेहतर मनुष्य ही संत होता है तो फिर अगर भड़ास संतई की ओर ले जा रहा है तो जाना चाहिए। आखिर किसे मन नहीं करता कि वो दिल दिमाग और आत्मा से स्वस्थ, सुंदर और समृद्ध रहे। तो फिर स्वामी भड़ासानंदों....खुद को संत बनाओ, प्रगित के पथ पर ले जाओ, मन को सुंदर और उन्मुक्त बनाओ....जय जय
यशवंत

1 comment:

meera said...

जय हो स्वामी भड़ासानंद की