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27.12.07

ढंढोरची का चिट्ठा की मानसिकता पर हंसे या रोंए

अपनी इस ब्‍लाग की दुनिया में एक से एक लोग हैं। एक ऐसे ही कोई महानुभाव ढंढोरची का चिट्ठा नाम से एक ब्‍लॉग के मालिक हैं। वो अपनी एक पोस्‍ट में लिखते हैं कि कोई जानता है कि भड़ास की क्यों मौत हो गई। मजेदार समाचार Oddly Enough Hindi News में यह खबर छपी है। शायद जिन्होनें मेरी इस पोस्ट को पढा होगा वे जानते होगें या समझ गए होगें। यदि नही समझे तो एक बार इस पोस्ट को पढें।- भड़ास का गोरख धंधा -मुझे लगता है भड़ासानंद का जमीर जाग गया होगा। या आईना देख कर खुद से ही शर्मिंदा हो गया होगा आईना । खेर जो भी हो लेकिन भड़ास को बंद नही होना चाहिए था। उसे अपनी कमी या यूँ कहें गलती को सुधारना चाहिए था।


दूसरी पोस्‍ट भी आपके सामने है, जरा गौर फरमाएं, वो कहते हैं कि यह कैसी भड़ास है भड़ासानंद की?....कौन हैं सब ....यही सोच भड़ास को समझनें कि कोशिश की....जब समझ आई तो पता चला......यह सब गोरखधंधा है.....अरे! नही कहीं -कहीं लगनें लगा सिर्फ धंधा है।...........क्यों समझ नही आ रहा ना भाया! जरा ध्यान से देखे और फिर समझे। समझ आ जाएगा। इस सब के पीछे सब से बडे भड़ासिए का दिमाग क्या पका रहा है...........आओ अपनी -अपनी भड़ास निकालों.......पर भाया!.......कुछ फायदा तो हमें भी देते जाओ।..तुम अपनी भड़ास निकालनें का। यही सोच मैं भी भड़ास निकालने बैठ गया हूँ।..जानता हूँ अब मुझ पर बरसेगें......इन भड़ासीयों के जूते चपल। वो कहेगें तुझे काहे की जलन हो रही है तू भी यह धंधा शुरू कर लें ...तुझे कौन रोकता है?....अब वह कुछ ऐसी भाषा का इस्तमाल भी करेगें.....जो शायद मुझे घायल करने की कोशिश करे। लेकिन मैं तैयार हूँ....सब वार सहनें को.......।अमां यार सब चलता है यहाँ।........भड़ास ने एक सीख तो दी है मुझे....कि भैयीए! अपनी भड़ास निकाल लो...भड़ास निकालनें से अपना मन तो हलका हो जाता है...वो बात अलग है कि दूसरे के सिर पर लद जाता है।.....यहाँ दूसरे की कौन सोचे?......अपनी कह ले...दूजें की सह ले....संकोच किया तो संत बन रह लें।..........यही तो है भड़ास!....अरे!! क्या अब तक नही समझे?....८८ सदस्य हो गए हैं पूरे १०० होने चाहिए। सुना नही....न न पढ़ा नही क्या?...जो अपनी भड़ास निकालनें के लिए शामिल हैं या शामिल होना चाहते हैं उन्हें समझ आ रहा है क्या?.......लगता है कुछ को आ गया होगा......अगर नही आया....तो दिमाग पर जरा जोर डालों।.सब समझ आजाएगा.....आप तो सब समझते हो....अब तक तो समझ ही गए होगें भाया!...मेरा ईशारा किस ओर है....सब से बड़ा भड़ासियां तो समझ ही गया होगा....क्यूँ ठीक कह रहा हूँ ना?......जितनी बार किलकाओगें ...उतने दाम दिलागें।....ही ...ही....ही......मैनें तो अपनी भड़ास निकाल ली.....अब तुम्हारी बारी है चलों हो जाओं शुरू.....अब तो जय रामजी की बोलना पड़ेगा......हम तो अपनी भड़ास निकाल कर चलें.....

अब आप ही बताईए की ऐसे लोगों के साथ क्‍या किया जाए। इनकी मानसिकता पर हंसे या रोंए।

जय भड़ास

7 comments:

Anonymous said...

dhidhorchi bhai ne apni publicsiti pane ke liy asan trika dhudha he bhagwan iska bhala kre
JEY BHADHAS

satya vijay singh said...

are bhai aap kyo tension laite ho,,agar vah apane bhadas nahe nikalta to uska pait fool jata,,to ab aapka kyo fool raha hai,,,,,,,,,,,

Jaspal Singh Virk said...

dil ki baat dil na rakho,
andar andar kabhi na ghuto,
jo nahi lagta hai achacha,
nikalo bhadhas dil khol ke rakho,

agar nahi nikaloge bhadhas,
to ghutte rahoge ander ander,
ek din hoga aisa blast,
ho jayega sab khandar,
so don't wait for that time
nikalo bhadhas dil khol ke rakho,

Jaspal Singh Virk said...

dil ki baat dil me na rakho,
andar andar kabhi na rakho,
jo nahi lagta hai achacha,
nikalo bhadhas dil khol ke rakho,

agar nahi nikaloge bhadhas,
to ghutte rahoge ander ander,
ek din hoga aisa blast,
ho jayega sab khandar,
so don't wait for that time
nikalo bhadhas dil khol ke rakho,

deep said...

media become mafia : i worked for one of guwahati channel when time to ask money, client made me scared from ULFA... this is how i got treated after a hard and good work.

Anonymous said...

me gulshan khatter ne dhidhorchi ke chithe par koi tipani nahi ki bhir mere naam se kis ne yhe tipani ki

Anonymous said...

yaswant ji pl aap mere blog ko bhadas se nikal de thanks