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29.12.07

नए साल में हिंदी मीडियाकर्मी- बहुत कठिन है डगर पनघट की

आनलाइन और आफलाइन हिंदी मीडिया के विस्तार का वर्ष रहा बीता साल, नए वर्ष में प्रसार और हिट्स की जंग होगी, क्वालिटी और मार्केटिंग के हथियार के सहारे
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पिछले एक साल में जिस कदर हिंदी और हिंदी वालों की पूछ बढ़ी है, वह वाकई आश्चर्यजनक है। कल तक इनफीरियारिटी कांप्लेक्स से ग्रस्त रहने वाले और कोने-अंतरे में छिपे रहने वाले हिंदी वाले अब सीना तान कर खड़े हैं। इसकी वजह कोई और नहीं बल्कि मार्केट है। बाजार पर कब्जाने की होड़ में हिंदी मीडिया का जिस कदर विस्तार हो रहा है उससे हिंदी में पढ़े लिखे लोगों की पूछ एकदम से बढ़ गई है। उसी तरह नेट पर एकछत्र राज कायम करने वाली इंगलिश के जवाब में भारत में हिंदी सहित अन्य देसी भाषाओं को जब डायनमिट फांट का शक्ल मिल गया तो एकदम से आनलाइन माध्यमें इन देसी लोगों की पूछ बढ़ गई। इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाई है हिंदी ब्लागिंग ने। अभी तक अपने तक सीमित रहने वाले हिंदी वाले खुद को हिंदी के जरिए पूरी दुनिया से जोड़ने में सफल हो रहे हैं। आनलाइन में हिंदी के खाली मार्केट को कब्जाने के लिए बड़े बड़े ग्रुप कूद पड़े हैं। बीते रहे वर्ष में ढेर सारे बड़े ग्रुपों ने अपने अपने पोर्टल लांच किए। इन पोर्टलो में काम करने के लिए हिंदी के लोगों को लाया गया। इस तरह हिंदी बीत रहे वर्ष में पूरे केंद्र में रही और नए वर्ष में हिंदी आनलाइन और आफलाइन दोनों ही माध्यमों में जबरदस्त जंग होने वाली है। बीत रहे वर्ष में आनलाइन और आफलाइन हिंदी मीडिया ने खुद का विस्तार अभियान शुरू किया। इस क्रम में कई अखबार और कई संस्करण लांच किए गए। कई पोर्टल और कई वेबसाइट्स लांच की गईं। नए वर्ष में इन नए अखबारों और पोर्टलों में ज्यादा से ज्यादा प्रसार और हिट्स की होड़े होगी। इसके लिए जंग कंटेंट और मार्केटिंग के हथियार से लड़ी जाएगी।

हिंदी मीडियाकर्मियों को ज्यादा मेहनत करनी होगी, खुद सीखना होगा और वर्ल्ड क्लास की क्वालिटी देनी होगी
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नए वर्ष में हिंदी पत्रकारों को जो आनलाइन या आफलाइऩ मीडिया, किसी में भी हैं, को ज्यादा मेहनत करनी होगी। मेहनत का आशय है कि उन्हें ज्यादा प्रयोगधर्मी और ज्यादा विजन वाला बनना होगा। इस लिए अब वो दौर नहीं रहा कि हिंदी पत्रकार आफिस में सोते सोते काम करे और उंघते हुए घर जाए। उसके बाद थाली भर दाल भात खा कर सो जाए। अब थोड़ी दिनचर्या अनुशासित करनी होगी। पढ़ाई लिखाई और देश दुनिया की गतिविधियों व प्रयोगों पर नजर रखना होगा। हर क्षेत्र में हो रहे नए डेवलपमेंट से खुद को जोड़ना होगा। वो चाहे तकनालजी हो या फिल्म हो या साहित्य, हर क्षेत्र में विशेषज्ञता स्थापित करनी होगी। विजुअल, लेआउट, प्रजेंटेशन के खेल के साथ साथ फैक्ट्स की क्वालिटी पर भी खासा जोर देना होगा। इसके लिए लगातार सीखना होगा और खुद को अपडेट रखना होगा। हिंदी मीडियाकर्मियों को इस चुनौती से निपटने के लिए उन्हें अपनी पर्सनाल्टी में बदलाव लाना चाहिए। मेरा जो निजी अनुभव है कि हम हिंदी मीडियाकर्मी खुद को एक पत्रकार के दायरे से बाहर नहीं निकाल पाते इसलिए हम अपनी खुद की ग्रोथ रोक देते हैं। हमेशा दोस्ती उन लोगों से करिए जो नई नई चीजों के जानकार हों। मिलते जुलते रहने से और पढ़ते लिखते रहने से दिमाग की खिड़की खुली रहती है।

ट्रेनिंग और लर्निंग की जरूरत पड़ेगी, हमेशा सीखते रहें....
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हालांकि अभी तक ट्रेनिंग और रिफ्रेशर कोर्स जैसी कोई व्यवस्था हिंदी मीडियाकर्मियों के लिए किसी संस्थान ने नहीं की है लेकिन नई चुनौतियों से पार पाने के लिए और पत्रकारों को ज्यादा कुशल बनाने के लिए अब ऐसी किसी ट्रेनिंग की जरूरत महसूस की जाने लगी है। जो पत्रकारर जिस क्षेत्र में कमजोर हो उसे उस क्षेत्र मे विशेष ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। अभी तक होता यह है कि वह पत्रकार खुद के प्रयासों से जितना सीख लेता है बस उसी से काम चलता रहता है।

खुद को आनलाइन माध्यमों से हमेशा जोड़े रखें
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तो आप सभी को नए साल में नई चुनौतियों से निपटने की शुभकामनाएं देते हुए एक अनुरोध करूंगा कि आप खुद को हमेशा आनलाइन माध्यमों से जोड़े रखिए और जो भी कुछ नया पढ़ें लिखें उसे अपने साथियों को सिखाते रहिए। एक दूसरे को सिखाने से ही ज्ञान बढ़ता है। मेरे खयाल से नए साल में भड़ास को भी एक नई छवि प्रदान करनी है। और यह छवि हिंदी मीडियाकर्मियों के दिल की भड़ास निकालने के साथ साथ उन्हें ट्रेंड और स्किल्ड बनाने की भी है ताकि वे हर दिक्कतों से पार पा सकें। और हां, नए साल में खुद के घर में कंप्यूटर या लैपटाप मय नेट कनेक्शन के जरूर रखें ताकि आफिस से घर आने पर भी आप खुद को नई चीजों से जोड़े रख सकें। साथ ही आप अपने परिजनों बच्चों को भी इस दुनिया के बारे में सिखाते समझाते रहेंगे जो आगे चलकर उनके काम आएगा।

अच्छे श्रोता बनें, हमेशा पाजिटिव और कूल बने रहें.....यही प्रोफेशनलिज्म है...
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और अंत में, खुद को हमेशा पाजिटिव बनाए रखें। अच्छी बातें सोचें, सकारात्मक रुख रखें, विवादों से बचें। आगे बढ़ने के लिए पूरी पर्सनाल्टी में पाजिटिविटी बहुत जरूरी है। हालांकि डिप्रेशन और टेंशन के हजारों मौके आएंगे लेकिन परीक्षा भी उसी घड़ी में होती है। जब चीजें नार्मल हों तो उस वक्त हर आदमी पाजिटिव होता है, असली चुनौती तो यही है कि जब माहौल निगेटिव हों तो भी धैर्य बनाकर रखा जाए और पाजिटिवली बिहैव किया जाए। यह मेरा अब तक अनुभव है और यही एक प्रोफेशनल बिहैवियर भी है। विवाद जो अतीत में हुए हों उन्हें नए साल पर भुलाइए और हर एक व्यक्ति मं छिपी अच्छाइयों को पहचान कर उनसे सीखिए। सीखने सिखाऩे और सकारात्मक सोच रखने से ही सफलता मिलती है। ज्यादा बोलने और कहने के बजाय सुनने की आदत डालें। हिंदी वालों की एक बहुत बड़ी दिक्कत होती है जो मेरे में भी है, कि सामने वाले की सुनने की बजाय खुद पेलने लगते हैं। एक अच्छा श्रोता ही एक अच्छा नेता या टीम लीडर होता है। कूल रहना हमेशा फायदेमंद रहता है।

अगर ये बातें आपके किसी काम आ जाएं तो भड़ास का मकसद पूरा होगा। अगर आपके कोई सवाल हों या सुझाव हों तो जरूर बताएं। मेरी मेल आईडी है yashwantdelhi@gmail.com और फोन नंबर है 09999330099

फिलहाल इतना ही
जय भड़ास
यशवंत

2 comments:

Anonymous said...

Yshwant bhai aap ki is haalasheri se hum jese shokiya likhne walo ko bahut dili aor dimagi nai urja milti he bas aap ese hi hosla badhate re
Jey Bhadas

Anonymous said...

बहुत अच्‍छा,

इसका शीर्षक होना चाहिए था दादा जी की डायरी