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15.1.08

पुलिसिया कहर की एक और दास्तान!!

पुलिसिया कहर की एक और दास्तान!!

बेंगलुरु : बेंगलुरु में पुलिस की ज्यादती की एक और दिल दहला देने वाली दास्तान उजागर हुई है। लेकिन इस बार पुलिस की ज्यादती का शिकार बना शख्स पुलिस के खौफ से चुप नहीं बैठा , बल्कि उसने पुलिस पर मानहानि का दावा ठोक दिया। मामला है बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर लक्ष्मण कैलाश का , पिछले साल लक्ष्मण को पुणे पुलिस की सायबर सेल ने 50 दिन बिना किसी गुनाह के जेल में गुजारने के लिए मजबूर किया था। अब लक्ष्मण ने अपने खिलाफ साजिश में शामिल होने के आरोप में टेलिकॉम कंपनी भारती एयरटेल , महाराष्ट्र के मुख्य सचिव और पुणे पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर को लपेटे में ले लिया है। इन सभी पर लक्ष्मण ने कुल मिलाकर 20 करोड़ रुपये का दावा किया है।
पुणे पुलिस के सायबर सेल ने लक्ष्मण को छत्रपति शिवाजी की अनुचित तस्वीरें वेब पर डालने के आरोप में सायबर क्राइम के कानूनों के तहत गिरफ्तार किया था। लक्ष्मण की गिरफ्तारी उनके उस आईपी एड्रेस (इंटरनेट प्रोटोकाल नंबर) के आधार पर हुई थी जिसे पुलिस को लक्ष्मण को इंटरनेट सुविधा देने वाली कंपनी एयरटेल ने मुहैया कराया था। बाद में पता चला कि यह आईपी एड्रेस लक्ष्मण का नहीं था।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और भारती एयरटेल की लापरवाही के कारण लक्ष्मण यरवदा जेल में 50 भयानक दिन गुजार चुके थे। ये दिन उन्हें खतरनाक कैदियों के साथ बिताने पड़े। इस दौरान उन्हें लाठियों से मारा जाता था और जिस कटोरे में उन्हे खाना मिलता था
उसी को टायलेट में इस्तेमाल करना पड़ा।
लक्ष्मण के अनुसार ४०० से उपर कैदियों के लिये मात्र तीन टायलेट थे,
और यदि वह दो मिनट से उपर टायलेट में बिता देता था तो अगला कैदी उसे पत्थर से मारता था।
लक्ष्मण
ने भारती एयरटेल के अफ़सरान को भी अपने साथ हुई ज्यादती के लिए लीगल नोटिस भेजा। इसका आधार यह है कि एक तो उन्होंने अपने ग्राहक की पर्सनल डीटेल्स पुलिस को दी , दूसरे उन्होंने पुलिस को गलत आईपी एड्रेस मुहैया कराया। इस बारे में भारती एयरटेल के प्रवक्ता ने कहा , ' हम अपने ग्राहक की तकलीफ को बखूबी समझते हैं और हम उनके (लक्ष्मण के) संपर्क में हैं। '

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