Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

8.1.08

ये सब कैट एक जैसे होते हैं, साले सुधरेंगे नहीं

बच्चों के जो तीन चार चैनल हैं, उन पर जो कुछ आता रहता है, उसमें मुझे चार चीजें पसंद हैं। नंबर एक टाम जेरी, सेकेंड मिस्टर बीन, थर्ड बनी और फोर शिन चेन। इधर डालीमान भी थोड़ा थोड़ा रास आने लगा है। क्या नायाब कैरेक्टर हैं ये। जिन भाई ने बनाया होगा उनके दिमाग की दाद देनी होगी। अगर उपरोक्त चारों पांचों में से कोई भी किसी चैनल पर आता रहता है तो तुरंत मैं उसे रुक कर देखने लगता हूं।

आज शाम को खाते समय पोगो पर बनी आ रहा था। कहानी कुछ यूं कि एक कैट जो चिड़िया खाने का आदी है, को सुधारने के लिए बनी अपने शाकाहारी क्लब में ले जाते हैं और वहां कई ऐसे जानवरों के अऩुभव सुनाये जाते हैं जो पहले कई चिड़िया खाते रहते थे लेकिन अब इस क्लब के संस्कार में आकर पूरी तरह शाकाहारी हो चुके हैं और चिड़ियों को दोस्त बना चुके हैं। ऐसी ही एक सभा में एक कैट को ले जाया गया जो चिड़ियों के बारे में सोचते ही लार टपकाने लगता है और उसे किसी तरह गड़प कर जाने की रणनीति बनाता है।

जब वो उस क्लब में गया और वहां के अनुभवों को सुना तो उसने कसम खा लिया कि आगे से वह किसी चिड़िया को नहीं खायेगा। रात में वो जिस कमरे में रुका वहां एक पिंजड़े में चिडि़या थी। उसने चि़ड़िया को प्यार से हलो कहा और यह भी बता दिया कि उसने कसम खा लिया है कि अब चिड़िया को कभी नहीं खायेगा, उनका दोस्त बनकर जियेगा। चिड़िया को भरोसा नहीं होता लेकिन वह विश्वास कर लेती है। जब वो कैट टीवी देखने बैठता है तो उसमें चिकन बनाने की विधि बताई जाती है और चिकने के एक पूरे पीस को देखकर उसके मन में उथल पुथल शुरू होता है। मुंह में पानी आने लगता है और नया नया नियम टूटने के डर से माथे पर पसीना। आखिरकार वह बेचैन होकर टीवी बंद कर देता है और रेडियो आन करता है ताकि गाना वाना सुनकर अपने दिमाग के द्वंद्व को खत्म कर सके। लेकिन यह क्या, वहां भी वही सब। कैसे बनाएं पकाएं खाएं नान वेज। वह रेडियो बंद करता है। बाद में खुद का बनाया नियम टूट जाने की स्थिति देख वह अपने को जंजीर में बांध लेता है। और वह चिल्लाकर कहता है कि अब मैं चिड़िया नहीं खा सकूंगा क्योंकि मैं खाना चाहूंगा तो भी खुद को जंजीर से मुक्त नहीं कर सकता। इसी समय चिड़िया उससे पूछती है, क्या तुम मुझे अब नहीं खाओगे। और वह बोलने की कोशिश करते करते जंजीर तुड़ाकर भाग पड़ता है चिड़िया की ओर और उसे पकड़़ कर सिर्फ एक चि़ड़िया खाने व इसके बाद फिर कभी न खाने की बात कहते हुए उसे गड़प करने के लिए मुंह खोलता है। इसी वक्त बनी ने उसे दबोच लिया और कहा कि तुम कमजोर पड़ रहो हो कैट, अपने पर काबू रखो।

अंत में होता ये है कि जो बनी उस कमजोर कैट को काबू में करने का नियम बता रहा है वह खुद उस चिड़िया को अकेले में पाकर खाने की कोशिश करता है और वो कमजोर कैट चिड़िया को छुड़ाते व बनी को दबोचते हुए कहता है कि तुम कमजोर न पड़ो। चिड़िया उड़कर उपर बैठ जाती है और दोनों कैट चिल्ला चिल्ला कर कहते हैं कि मैं बहुत कमजोर हूं। चिड़िया कहती है कि सब कैट एक जैसे होते हैं, बिलकुल नहीं सुधरेंगे ये।

बच्चों का ये कार्टून कितना बड़ा संदेश देता है, इसे समझने के लिए बड़े फलक पर जाना चाहिए। हर ओर आपको नकली व वेश बनाए लोग मिल जाएंगे जो अपनी अपनी दुकान चला रहे हैं और जिनके अपने अपने कथित नारे हैं लेकिन अगर उनको अकेले में मिलोगे तो वो तुम्हें पूरा का पूरा निगलने को तैयार।

ढेरों बिंब हो सकते हैं इसके। पर सार साफ है। जो कहते हैं दिखते हैं बोलते हैं, वैसे होते नहीं। जो करते हैं जीते हैं और चाहते हैं उसे वो कभी कहते नहीं। बहुत बड़ा फांक और अंतरविरोध है इनके व्यक्तित्व में। पर भड़ास और इसके जो साथी हैं वो शायद सबसे सहज लोग हैं। ये भड़ासी जो होते हैं वही बोलते हैं, जो दिखते हैं वही होते हैं। भड़ास का लक्ष्य भी यही है, जो हो उसे खुलकर कहो, जियो और बढ़ते जाओ। दुनिया में कमीनगी और हरामजदगी कूट कूट कर भरी है। ऐसे में साफ कहना बोलना और जीना मुश्किल तो है लेकिन अगर इस तरह के लोग एक जगह हों, एक मंच पर हों तो एक दूसरे को ताकत देते रहते हैं। शायद हम उस चिड़िया की तरह हैं जिसे सारे कैट रूपी लोग गपक से निगल लेना चाहते हैं लेकिन जब वो पकड़े जाते हैं तो खुद को साफ पाक साबित करने की कोशिश करते हैं।

कार्टून के कैट तो फिर भी ठीक ठाक भड़ासी हैं जो कम से कम स्वीकार तो करते हैं कि वो कमजोर हैं और अंदर से टूट रहे है। लेकिन ये जो आदमी रूपी कैट हैं वो तो साले कभी कहते भी नहीं कि वो कमजोर पड़ गए हैं। वो कमजोरी को ही अपनी ताकत मानने लगते हैं और उसी मनोस्थिति में जीने लगते हैं। ऐसे हरामी कैट रूपी मानवों को उनकी शक्ल आईने में दिखाने की जरूरत है।

उम्मीद है आप लोग भी जो कुछ महसूस करते हो, जीते हो, सोचते हो, उसे भड़ास के मंच पर शेयर करोगे।

फिलहाल इतना ही
जय भड़ास
यशवंत

No comments: