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13.1.08

दिल्ली ब्लॉ्गर मीट - सब हंसे हंसाये हिन्दी में

मीट में मिले मीत
पर बाद में
पहले मिली अंग्रेजी
जो पल्ले नहीं पड़ी
बाद में चली हिंदी
खूब जमी हिंदी
कड़ाके की ठंड में

जो मिली गर्मी
वो हिंदी से मिली
जो बात बनी
वो हिंदी से बनी

जिसने चकराया
पहिया घुमाया
वो चक्रधर आया
हिंदी की माया का
रूतबा खूब जमाया

यशवंत ने गर्मी
दहकाई वो हिंदी
अंग्रेजी को बिठाया
हिंदी ने, रंग जमाया
समां खूब महाकाया
हिंदी ने, सबके मन
आनंद आया
सब हंसे हंसाये
सिर्फ हिंदी में।

3 comments:

राजीव तनेजा said...

अपुन को भी था खटका
शायद इसीलिए था मन
कुछ अटका अटका

हिन्दी है छाई हिन्दी है भायी
सुनकर मन गज़ब हर्षित हुआ
बाग बाग ये दिल सौ बार हुआ

जय हिन्दी....

राजीव तनेजा said...

अपुन को भी था खटका
शायद इसीलिए था मन
कुछ अटका अटका

हिन्दी है छाई हिन्दी है भायी
सुनकर मन गज़ब हर्षित हुआ
बाग बाग ये दिल सौ बार हुआ

जय हिन्दी....

तन्‍वी said...

अविनाश जी ने हिंदी महिमा गाई
यशवंत जी ने हिंदी गरिमा बढ़ाई
चक्रधर जी ने जो पहिया घुमाया
सबने मिलकर उसकी गति बढ़ाई
मिल मिल गाओ बधाई हो बधाई