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13.1.08

मीडिया के इस बूम से क्या पास रह जायगा
पत्रकारिता बूम के दौर se गुज़र रही है, एक पत्रकार आज यहाँ टू कल कही और, भूमंडलीकरण के कारन यह विज्ञापन उद्योग मँए बदल गया है, मीडिया संस्थान का एक विंग बन कर रह गया है, रिपोर्टिंग, स्टोरी से संबधित कामकाज, जाहिर है ऐसे मे बहुत कुछ खत्म हो रहा है, टीम का लीडर नही जानता की ये जो पत्रकार है कल से हमारा साथ हो गा या नही, जाहिर है, ऐसे मे किसी सुरेन्द्र प्रताप, रघुवीर सहाय या हरिवंश के निकल कर आने की उम्मीद नही की जा सकती,
कारन साफ है, हर वस्तु की कीमत बाज़ार तय कर रही है, और यह अनुमान क्या जा सकता है की आगले दसक के अंत आते आते भारत के बाज़ार मे यह बूम नही राहेगा जो आज है, बहरहाल मीडिया के दोस्तो बाज़ार se जो कुछ वसूलना है वसूल लो,
एक पत्रकार मित्र

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