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10.2.08

मेरे दर्द को आप सबने समझा, शुक्रिया--हरे प्रकाश उपाध्याय

((लीजिए, बुरे लोगों और बुरी चीजों से जीवन मंत्र निकालने वाले और भड़ासियों के लिए सर्वश्रेष्ठ कविता लिखने वाले साथी हरेप्रकाश उपाध्याय की तलाश पूरी हो गई। वे दिल्ली में ही रहते हैं। कादंबिनी मैग्जीन में बतौर सीनियर जर्नलिस्ट कार्यरत हैं। उससे पहले वे हंस में सहायक संपादक थे। कल उन्होंने भड़ास पर प्रकाशित अपनी कविताओं पर कमेंट किया तो उनके नाम के जरिए उनके ब्लाग तक पहुंचा और उनके ब्लाग पर उनका मोबाइल नंबर मिला। फोन किया तो बातचीत हुई। हरेप्रकाश ने भड़ास में प्रकाशित अपनी कविता पर जो कमेंट दिया है, वो इस प्रकार है.....बिलकुल नीचे दो लिंक दिए गए हैं जो उनकी कविताओं के है, क्लिक कर उनकी कविता संबंधी मूल पोस्ट भी पढ़ सकते हैं...यशवंत))

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हरे प्रकाश उपाध्याय has left a new comment on your post "सच ने नहीं, झूठ ने दिया संबल...सर्वश्रेष्ठ भड़ासी ...":

sb bhai logon ko nmste, shukriya...
mere drd ko aap sb ne snjha shukriya...
mera ek snkln bhartiy jnanpith me atka hai, dua kren ki jldi chhp jae, nam hai-BURAI KE PAKSH MEN


Posted by हरे प्रकाश उपाध्याय to भड़ास at 9/2/08 4:35 PM

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हरे प्रकाश उपाध्याय has left a new comment on your post "हमें नपुंसक होने से बचाया, बददिमाग और बुरे माने गय...":

bhaee login ke nmaskar
hmar do kaudi ke kvita pr kya kahte hain jrranvajee khatir...
aap sbka hee,
hare prakash


Posted by हरे प्रकाश उपाध्याय to भड़ास at 9/2/08 4:29 PM

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आप उपरोक्त कविता को, जो दो पार्ट में भड़ास पर प्रकाशित हुई थी, नीचे दी गई हेडिंग पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं...

हमें नपुंसक होने से बचाया, बददिमाग और बुरे माने गये साथियों ने

सच ने नहीं, झूठ ने दिया संबल

जय भड़ास
यशवंत

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