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16.2.08

यशवंत भाई मेरे से क्या गलती हो गयी जो ये कर रहे हो...

यशवंत सह रुपेश भाई
पाँव लागी .......
ये अजीब फील करवा कर रख दिए हैं आप लोग..ये तो बात ऐसी हो गयी की पहले कहो चढ़ जा बेटा सूली पर और बाद में ख़ुद पीछे हटाने पर मजबूर कर दिए। सबसे पहले तो आप को बधाई देना चाहता हुं की आप लोगों ने मेरे जैसे दीरा-दाहर के युवा ,जो अपने जिले में एक न्यूज़ क्लर्क की हैसियत रखता है की रचना को भडास पर स्थान दिया। भाई बहुत खुशी हुई थी ,अपने मित्रों को फोन कर-कर के बताया की देख बे यशवंत भैयाके भडास पर मेरी आलेख छपी है। सोने पे सुहागा तो तब हुआ जब डाक्टर साहब ने कमेन्ट भी दिया.फील गूड हो ही रहा था की एक मित्र ने सूचना दी की यार तेरी चुदाई हो गयी,वो भडास जा कर जल्दी देख ले। मेरे को तो समझ में नही आया जब मैंने भडास देखा।
''सरकार की नीतिओं को खड़े खड़े गाँर मार रहे हैं ये आंकडे'' नाम से छापे आलेख में ''खड़े-खड़े गाँर मार'' हटा कर ''ऐसी तैसी कर'' शब्द जुड़ा हुआ देखा तो सोचा शायद मैंने कुछ ज्यादा ही उल्टी कर दी है इसलिए यशवंत भैया ने हटा दिया होगा लेकिन भाईजान अब आपकी बारी है,आपने मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया जबकि ये अबरार भाई का ''गाँर मार लो पत्रकारिता की'' शब्द अभी भी भडास की शोभा बढ़ा रहा है। भाई मैं कोई लड़ाई नही कर रहा हुं ...न ही कोई शिकवा शिकायत है आपसे ...जहाँ तक प्रेरणा ही पाता हुं आपलोगों की सक्रियता से,लेकिन अपुन अपने मित्र मंडली में इन्सल्ट हो रहा हुं....ओये मनीष तेरी बात में दम कहाँ है..........ये हट गया न तेरा शीर्षक......ये क्या कर रहा है तू.....
अब भाई जान आप बताओ मनीष ने गाँर मार लिखा तो बुरा अबरार भाई ने लिखा तो वेलकम ....जरा समझाओ ना ये कौन फंदा है.

1 comment:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भइए,नाराज क्यों हो रहे हो गांड की स्पेलिंग गलत लिखी तो हटा दिया होगा यशवंत दादा ने वरना कुछ लोग कन्फ़्युजिया जाते कि ये साला कौन सा पुर्जा है जो मारने के काम आने लगा है ।
जय जय भड़ास