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1.2.08

गिलौरी खाया करो गुलफ़ाम,ज़बान काबू में रहती है॥

(अभी हाल ही एक वेबसाईट पर पढा़ कि आईसीसी के अपील कमिश्नर ने सुनवाई के बाद हरभजन सिंह को हाफ मैच फीस के जुर्माने की सजा को कम बताया और कहा कि अगर मुझे हरभजन के पुराने मामलों की जानकारी होती तो वह हरभजन को कड़ी सजा सुनाते)
अब इस भोसडी वाले से कोई पूछे कि पहले तो साले कंगारुओं ने तिल का ताड़ बनाया,
बिला वजह सालो ने अपने देश के मीडिया के नाजायज़ सपोर्ट से आई सी सी पर
प्रेशर डलवाया। जब बवाल होने पर भारत के लौट कर आने की आशंका उठी तो
सालों के चूतड़ चौड़े हो गये और सज़ा की बात पर हल्के हो गये। अब जब तुमने
हाफ़ मैच फ़ीस का जुर्माना कर ही दिया है, तो फ़िर ऐसा क्या हो गया कि अचानक
ही हरभजन के पास्ट और प्रेसेन्ट की चिन्ता में लग गये।अगर बंदर
सायमण्ड्स हरभजन और ब्रेट ली के बीच हुए पंगे में ना पड़ता तो फ़िर ये
बखेड़ा क्यों खड़ा होता।यदि आस्ट्रेलिया अपने गिरेबान में झांक कर देखे तो उस
से ज़्यादा चूतिया,और अतरंगी हरकतें करनेवाली टीम पूरे विश्च में कोई नही है।
ये तो भारत का इतिहास है कि हम लोग शांति का पाठ पढाते भी हैं और
खुद भी उसका अनुसरण करते हैं। बिना वजह किसी बात पर बखेड़ा नही करते।
इसी लिये ज़्यादा फ़ैण्टम ना बनिये।
भारतीयों के दिमाग पर किसी दिन चण्डी चढ़ गई, तो पूरी दुनिया की मां
बहन एक कर के रख देंगे।
शांत पृवृत्ति को हमारी कमज़ोरी ना समझें। और जो भी कहें सोच समझ कर कहें।

धन्यवाद...
अंकित माथुर...

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