Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

1.2.08

हम २०-२० के भी सिकंदर नहीं हैं

सुबह-सुबह अमरदीप के मोबाइल पर इंचार्ज का फ़ोन। गुस्सा आया, पर नवीन भाई साहब का फ़ोन देख दोनों कि नींद खुल गयी। समझ में आ गया कि कोई न कोई गलती है या खबर मिसिंग हो गयी है। उन्होने बताया कि भाई खबर मिस कर दी। जवाब में कुछ समझ नहीं आया। फिर क्या था, पुरा दिन खराब हो गया। रही-सही कसर साले टीम इंडिया वालों ने निकाल दी। सोचा था कि मैच देख कर सब भूल जायेंगे। एडिटोरिअल के सभी साथी मैच देखने के लिए २ बजे ही ऑफिस पहन गए। जब तक ऑफिस पहुंचे तब तक सहवाग, गंभीर, उथप्पा, कार्तिक आउट हो चुके थे। ऑफिस में पहुँचने के बाद मेरा कहना था कि अब मेरे आने के बाद कोई विकेट नहीं झरेगा। लेकिन साला दिन ही खराब था। पेल्म्पेल सब आउट गए। कैमरा वाला भी बार-बार खिलाड़ियों कि तरफ मोड़ दे रहा था। साले बेसरम हस रहे थे। उन्हें देख सभी खिसिया रहे थे. न्यूनतम स्कोर ७३ को तो क्रॉस कर दिए, पर एक रन बाद ही ७४ पर आउट हो गए। फिर क्या था। ऑफिस खाली हो गया। दूसरी पारी देखने के लिए कुछ लोग ही बचे थे। दूसरी पारी होना क्या था, दस या नौ विकेट से हारना ही था, सो नौ विकेट से हार गए। आस्ट्रेलिया से पिछला २०-२० जितने के बाद मैंने ही हेडिंग लगाई थी कि हम हैं २०-२० के सिकंदर, पर आज का मैच देखने के बाद लगा कि हम २०-२० के सिकंदर नहीं हैं।

No comments: