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13.2.08

बलात्कारी बॉस

बहुत दिनों से इन्तेर्न्शिप के लीए भटक रहा हूँ आज एक हिन्दी न्यूज़ चैनल के एक जाने माने रिपोर्टर से बात हुई उसने कहा की लड़को के लीए जगह निकलना थोड़ा मुश्किल है लेकिन हाँ लडकियो के लीए राह थोडी आसान है उसने आगे कहा की वो ख़ुद कहता है मीडिया में जो बॉस है उनमे ज्यादातर बलात्कारी बॉस है अब तक तो मैं ऐसे बोस्सो की सोच को ही घिनोना समझ रहा था फ़िर उसने कहा की लड़किओं को भी मतलब निकलना आ गया है कब किस वक्त कितना झुकना है क्या दिखाना है क्या छुपाना है उन्हें बखूबी आता है अब मेरी सोच ने पलटा खाया.और सोचने लगा की इससे पहले ऐसे कितने वाकये हुए है मेरे साथ जो इस सोच को पुख़्ता करें लिस्ट बहुत लम्बी तो नही थी लेकिन थी ज़रूर . मुझे मालूम है की मेहनत से कोई भी मकाम पाया जा सकता है लेकिन ऐसे वाकये कुंठाग्रस्त करने लीए तो काफ़ी होते है । हो सकता है मैं जिस विषय पर लिख रहा ह वो आप सब के बीच पुराना पढ़ गया हो लेकिन मुझे तो आज इसने कचोटा इसलिए मैंने आज अपनी भड़ास निकल दी अब आप भड़ासीलोग ही तय करे की मेरी सोच कितनी जायज़ है और कितनी नाजायज़ जय भड़ास

1 comment:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भाई ,आग तो उजाला भी करती है और घर भी जला देती है अब आपकी आग क्या करती है वो आप देखिए कोई दूसरा कौन होता है जायज या नाजायज का प्रमाणपत्र देने वाला....