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7.2.08

अल्यूमिनियम मैन का संकल्प

कभी लौह पुरुष के अवतारी माने जाने वाले पूर्व उप-प्रधानमंत्री, यात्रा पुरुष और भाजपा के अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने अपनी रैलियां स्थगित कर दी है। लोगों को याद होगा कुछेक सप्ताह ही पहले भाजपा के यात्रा पुरुष ने भारत के लोगों के प्रति अपीन निष्ठा जताते हुए कहा था कि आतंकवाद और माओवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

बकौल आडवाणी, सुशासन, विकास और सुऱक्षा उनकी प्रतिबद्धताएं हैं। आतंकवाद से लड़ाई एक नया मुद्दा है। बहरहाल, ऐसे जबरदस्त ५ कॉलमी बयान के बाद यात्रा रद्द कर देना और अपनी ज़बान से मुकर जाना गुस्ताख़ को हजम नहीं हो रहा है। लौहपुरुष तो एल्मुनियम के बने मालूम होते हैं।

गुस्ताख को याद आ रहा है कि ऐसी ही परिस्थितियों में राजीव गांधी ने अपनी सद्भावना यात्रा रद्द नहीं की थी। बेनज़ीर का नज़ीर तो सामने है ही। खासकर, भाजपा के ही एक और कद्दावर नेता ने भी खुद को संकल्प का धनी साबित किया था। मुरली मनोहर जोशी ने आतंकवाद के चरम वक्त में श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा कर अपनी वकत साबित की थी।

उस वक्त जोशी भाजपी के अध्यक्ष हुआ करते थे और तमाम धमकियों के बावजूद आतंकवादियों के गढ़ में वे तिरंगा फहराने गए थे। आरएसएस ने भी उन्हें श्रीनग न जाने की हिदायत दी थी। आंध्र प्रदेश में उनकी जन सभाओं पर बम से दो हमले हो चुके थे। पंजाब में भी आतंकवाद का दौर चल ही रहा था, लेकिन जोशी ने घुटने नहीं टेके थे.

लेकिन चीख-चीखकर आतंकवाद के खिलाफ बयानबाजी करने वाले आडवाणी के ये तेवर उन्हे कहां ले जाएंगे। क्या आतंकवादियों को ये नहीं लगेगा कि विपक्ष का सबसे मशहूर और मजबूत नेता और प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग उनकी धमकियों से डर गया? क्या इससे आतंकवादियों के हौसले बढ़ नही जाएंगे? लेकिन गुस्ताख क्यो सोचे... इनकी तो आदत रही है घुटने टेकने की, आतंकियों को उनके घर तक सकुशल छोड़ आने की।

राम भला करे।

5 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भाईसाहब,आपने जो लिखा है वो गुस्ताख़ी तो हरगिज़ नहीं है बल्कि स्पष्टवादिता कहलाती है तो प्रभु कम से कम उपनाम ही सही "स्पष्टवादी" रख लीजिए.......

Manjit Thakur said...

रूपेश जी धन्यवाद की हमारी गुस्ताखी आपको स्पष्टवादिता लगी। बहरहाल, आप हमें स्पष्टवादी ही बुलाया करें, और हमारे ब्लॉग पर भी आया करें। शुक्रिया

नारद संदेश said...

भाई साहब जी नमस्ते, आपने तो लाल कृष्ण आडवाणी को पूर्व-प्रधानमंत्री बना दिया। अभी तो वो पीएम ऑन वेटिंग हैं।

अवनीश said...

सही कहा साहब । सौ फीसद सही कहा। पी एम् इन वेटिंग सिर्फ एक यात्रा कर सकते हैं जो बाबरी मस्जिद तक जाती है। जिसमे कुछ निर्दोषों को वे बलि का बकरा बना सकते हैं। खुद, बलि का बकरा बनने में कष्ट नही होगा ????

Anonymous said...

अडवानी जी को शहीद होने पर क्या मिलेगा!
किसी चोराहे पर लगी मुर्ति ओर दो शरदा के फ़ुल!
ना बाबा ना अपने अडवानी जी को तो पी.एम की
कुर्सी चाहिये भाड मे जाये ये शहीद होने वाली यात्राये