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7.2.08

कुत्ते कहीं के....

हर बार जब भी मौका लगेगा मैं तो पीछे नहीं हटूंगा और चीखूंगा ,चिल्लाऊंगा जितना हो सकेगा किचकिच करूंगा । मुझे नहीं पता कि उनका नाम मनेका गांधी है या मेनका गांधी ;पर उनका नाम हमेशा ही कुत्तों से मज़बूती से जुड़ा नजर आता है । आप ये न सोचें कि मुझे उनके नाम पर कोई विरोध है । नाम कुछ भी हो पर उनके काम मुझे हमेशा से अपनी आदिम सोच पर खुद की ही लानत-मलानत करने पर मजबूर करे रहे हैं । ये कभी तो कुत्तों की नसबंदी के प्रोग्राम लेकर आती हैं और कभी दूध पीने वालों को पानी पी-पीकर कोसतीं हैं । उनकी नजरों में अगर कुत्तों की आबादी बढ़ती है तो फिर मानव समाज में उनकी कद्र कम हो जाती है तो फिर इस खोते हुए सम्मान को कुत्तों को वापिस कैसे दिलाया जाये ,ये बात मैडम मनेका(मेनका) की नींद उड़ाए हुई थी फिर अचानक उन्हें यह बोध हुआ कि यदि कुत्ते ’कुत्तों’ की तरह सड़कों पर मारे-मारे फिरेंगे तो कोई उन्हें भला क्यों इज्जत देने चला ? फिर क्या था उन्होंने और पशु कल्याण बोर्ड के गुणीजनों ने मिल कर केन्द्र सरकार को समझ दी कि कुत्तों की इज्जत का सवाल है तो आप मेहरबानी करके कुछ तो करिए वरना हम पूरी दुनिया में कहीं भी मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाएंगे और सारी दुनिया के सभ्य देश हमारी तरफ हिक़ारत से देखते हुए कहेंगे कि ये हैं वो आदिम सोच वाले भारतीय(क्षमा करिए,इंडियन्स कहीं के !) जो कि देश आज़ाद होने के साठ साल बाद भी अपने देश में कुत्तों को सम्मान नहीं दिला सके ,थू.... है इनकी प्रगति पर । आनन-फ़ानन में केन्द्र सरकार ने कुत्तों के लिये तमाम कार्यक्रमों की घोषणा कर दी ,परिवार नियोजन का कार्यक्रम भी इनमें से एक है । मुझ अल्पबुद्धि को समझ में नहीं आया कि जनता को कुत्तों के काटने से समस्या होती है या उनके प्रजनन करने से । हो सकता हो कि मैडम मनेका(मेनका) ने कोई रिसर्च करी हो जिससे पता चला हो कि यदि कुत्तों को परिवार नियोजन की उपलब्धि मिल जाती है तो वे मनुष्यों को काटना बंद कर देते हैं । अच्छा भले प्राणियों ,एक बात और जान लीजिए कि मैडम मनेका(मेनका) के शहर दिल्ली में ही आधुनिकतम यंत्रॊ से सुसज्जित कत्लखाना है जो कि पशुओं को काट कर उनके मांस को प्रोसेस यानि कि प्रसंस्क्रत कर के बाहर के मुल्कों को भेजता है । ये साला पशु क्रूरता अधिनियम कैसा है जो मैडम मनेका(मेनका) गांधी को सिर्फ़ कुत्तों को ही पशु महसूस कराता है बकरी आदि को नहीं । दरअसल मुझे लगता है कि अभी पशु कल्याण बोर्ड ने बाकी पशुओं के लिये कोई ऐसी योजनाएं नहीं चलाईं हैं कि जिनसे पशु-प्रेमी एन.जी.ओ. लाभान्वित हो सकें । मैं तो पुनर्जन्म के सिद्धांत में यकीन रखता हूं तो ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि कोई ऐसा पशु न बनाना जिसकी मांसपेशियों का स्वाद मेरे प्यारे भारतवासियों को अच्छा लगता हो ,तो प्रभु जी कुत्ता ही बना देना ताकि मैडम मनेका(मेनका) का प्यार भी मिलता रहे और प्राण भी बचे रहेंगे वरना अगर बकरा-भैंसा बना दिया तो फ़ोकट के लेने के देने पड़ जाएंगे क्योंकि इधर तो भाई जो पशु खाने में स्वादिष्ट नहीं लगता एनिमल वेल्फ़ेयर के सारे नियम उसी का बचाव करते हैं या फिर उनका जिससे मैडम मनेका(मेनका) को लगाव हो या फिर जिनसे उनके एन.जी.ओ. को लाभ पहुंचाने वाली योजनाएं जुड़ी हों..............
जय जय भड़ास

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