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1.2.08

बचो भाई लोग नेताईन एड्स टैस्ट लांई.....

आज तो हद हो गयी है पैसे के लालच ने लोगों को ऐसा अंधा कर रखा है कि वे ये भी नहीं देखते कि वो जो कुछ भी आज के लाभ के लिये कर रहे हैं वह उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिये कितना हानिकारक होगा । मेरा दिमाग नहीं फिर गया है कि मैं ये सब लिख रहा हूं बल्कि हमारी प्यारी महाराष्ट्र सरकार की आंखे पता नहीं क्यों चौंधिआई पड़ी हैं कि उसने स्वास्थ्य मन्त्री विमल मूंदड़ा की अध्यक्षता में बुधवार को हुई २५ सदस्यों की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य में एड्स की रोकथाम के लिये शादी से पहले एड्स का टेस्ट अनिवार्य कर दिया जाए । इससे पता है कि किसका भला होने वाला है बस उन कंपनियों का जो इन टेस्ट-किट्स का निर्माण करती हैं । आज से कुछ समय पहले से ही मुझे पूर्वाभास था कि ये साले अंदर ही अंदर क्या खिचड़ी पका रहे हैं और अब ये सफल हो गये और एक हम हैं जो सिर धुनने के अलावा कुछ नहीं कर सकते लेकिन एक उपाय है कि इन लोगों के नाम से यमराज को अगरबत्ती लगाओ कि हे प्रभु इन्हें या तो सदबुद्धि दे या तो उठा ले अब तो साले हर दिन अपनी सुविधा से कानून बना लेते हैं और आम जनता पर लाद कर उसे आम की तरह चूसते हैं । अब एक बार फिर से ढेर सारे एन.जी.ओ. इन्ही सालों के चाचा-मामा के नाम से बनाएंगे और एड्स जागरूकता कार्यक्रम के नाम पर करोड़ों रुपया डकार जाएंगे । कहते हैं कि विधान परिषद ने इस पर विचार करने के लिये एक कमेटी गठित करी है और इस कमेटी ने तय किया है कि ड्राफ़्ट बनाने के लिये आम लोगों की सलाह ली जाएगी ;आम आदमी के सुझाव मांगे जाएंगे । राज्य में परिसंवादों के द्वारा जनता को जागरूक बनाया जाएगा ,विवाह के पूर्व एच.आई.वी. टैस्ट कराने के कानून को किस तरह से प्रभावी ढंग से लागू करा जाए इसके लिये विशेष जानकरों की राय ली जाएगी । मत्री मूंदड़ा ने कहा है कि यदि कानून अंतिम रूप में आ जाता है तो इसे प्रभावी रूप से दूरदराज गांवों तक लागू करना ,एच.आई.वी. टैस्ट की लम्बी प्रक्रिया और एच.आई.वी. टैस्ट का शुल्क ,इससे जुड़े जाली प्रमाण पत्र और एड्स का विंडो पीरियड प्रमुख दिक्कतें हैं । एड्स का अलीसा ,रैपिड और सिंपल सहित तीन तरह के टैस्ट होता हैं अब इसका शुल्क कितना रखा जाए इसके लिए एड्स के नाम पर जिन्दा रहने वाले ढेर सारे एन.जी.ओ. दौड़ पड़ेंगे कि कितनी सरकारी मदद मिलेगी और कितनी विदेशी कि दिखाने के लिये कम से कम मूल्य रखा जा सके । राज्य में अभी ६७८ टेस्टिंग सेंटर हैं । ये यह भी कहते हैं कि विंडो पीरियड यानि पूरी तरह से पता लगने में लगा समय ३-४ माह तक का होता है और यदि इस बीच कोई प्रमाणपत्र ले लेता है तो उस पर नजर कैसे रखी जाएगी तो इसके लिये भी एन.जी.ओ. बन जाएंगे । आप लोग यह भी जान लीजिए कि यह कानून आंध्र प्रदेश और गोवा में भी विचाराधीन है ।
आदरणीय मित्रों मैं कम्प्यूटर तकनीक का जानकार नहीं हूं इस लिये आप सबकी सेवा में अपना शोध प्रबंध नहीं प्रेषित कर पा रहा हूं यह प्रबंध मैने LEAP OFFICE 2000 के DV-TTYogesh फ़ोन्ट में लिखा है ,हो सकता कि आप सब लोग सोच रहे होंगे कि मैं ससुरा अचानक ये समझदारी की बातें कहां से करने लगा लेकिन भाई लोग ,अपनी सुलग रएली है तो अईसा इच होता है जब नीचे से धुंआ आने लगता है तो भेजा अक्कल की मचमच करने लगता है । भिड़ू लोग, अपना थोड़ा फार हेल्प नईं करा तो नेता लोग साले भेंडी के सबको खोली से पक्कड़-पक्कड़ के ले जाएंगे और बलजबरी से एड्स का टैस्ट करेंगे उनके फ़ायदे के वास्ते.......................
जय भड़ास

2 comments:

यशवंत सिंह yashwant singh said...

अपन देस के लोग गंभीर व बड़े मसलों पर तब तक सक्रिय नहीं होते जब तक उनके गांड़ में उंगली न होने लगे। अब देखिए न, इस फरमान से भला एमएनसीज का होने वाला है, दवा कंपनियों का होने वाला है और नुकसान आम जनों का। भई, योजना तो अच्छी है पर अगर फ्री में टेस्ट कराओ तो समझ में आए। वैसे भी एड्स के नाम पर पच्छिम वाले इतना पैसे फेंक रहे हैं कि अगर उन सारे पैसे से फ्री एड्स टेस्ट स्कीम चला दी जाए तो क्या बुरा है?
डाग्डर साहब, इस विषय को छोड़ियेगा नहीं, भड़ास पर बार बार डालिये और पत्रकार साथियों से कहिए कि वो इस पर लिखें....

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

दादा,आपका आदेश स्वीकार है सिर झुका कर और अब देखिए कि किसी ने मेरा फ़ौन्ट वाली समस्या का हल नहीं दिया अब तक ,आप जरा डंडा करिए तो शायद कुछ बात बने.....