Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

11.2.08

चूतियापा तो डालर में कनवर्ट हो रहा है !!

कभी आफत-बिपत तो कभी खुशियों की सौगात। ब्लागिंग में मेरा अनुभव इन्हीं दोनों छोरों के बीच घूमता रहता है। भड़ास रूपी चूतियापे की शुरुआत जिस तरीके से हुई और हाहाकार मचाकर बंदर कूद गया लंका के अंदर वाली स्टाइल में इस बंदर ने पूंछ हिला-हिला कर लंका में जिस तरह उपद्रव किया, उससे मुझे तो तकलीफ हुई ही, बंदर को भी कुछ समय के लिए अज्ञातवास में रहना पड़ा।

वो नुकासन उठाने के दिन थे। वो ब्लागर बनने से होने वाले नुकसान के दिन थे।

पर समय का पहिया चले रे साथी.....। समय बदला। चक्र घूमा। अब वही भड़ास, वही चूतियापा, वही बंदर, वही ब्लागर.....लेकिन यह सब खुशहाल। प्रसन्न। जबसे गूगल बाबा के यहां से पिन नंबर आने की सूचना मिली है और जब से अपने गूगल एडसेंस एकाउंट का खोया हुआ पासवर्ड दुबारा मांग लिया है, तबसे रोज सुबह सुबह लक्ष्मी मैया के दर्शन नेट पर ही कर लेता हूं और जल्द ही उनके घर आने की कामना करने लगता हूं।

हुआ यूं कि पिछले साल जब जून या जुलाई महीने में जब भड़ास शुरू किया तो सीखने के क्रम में गूगल एडसेंस का खाता भी खोल लिया। बाद में कई बार गूगल एडसेंस के विज्ञापन लगाए, हटाए, उड़ाए, फिर लगाए जैसे ढेरों प्रयोगों के बीच एक बार तो भड़ास ही डिलीट कर दिया। इस सब चक्कर में गूगल एडसेंस के खाता को पूरी तरह भूल गया। अब जब पिछले महीनों से दुबारा गूगल एडसेंस के खाते को खोजना शुरू किया तो पता चला कि मुझे पासवर्ड याद नहीं है। खैर, गूगल बाबा से लंबा पत्राचार हुआ और आखिरकार उन लोगों ने मेहनत करके मुझे मेरे खाते के दर्शन करा दिए।

अब रोज सुबह इस खाते को खोलता हूं तो पता चलता है कि आज की रिपोर्ट में कुछ डालर बन गए हैं और यह कुछ डालर वाकई अभी कुछ है...चलिए और बता देता हूं इकाई की भी प्राथमकि इकाई के बराबर है....फिर भी, अंदर से बड़ी खुशी होत है। भड़ास रूपी अपन लोगों का बच्चा तो अब कमाने लगा है।

मित्रों, इस कमाई से अब रोज नए नए आइडिया सूझ रहे हैं। सार यह है कि अगर हम कोई काम चूतियापे में करते हैं और उस चूतियापे को रुपया नहीं शिनाख्त कर पा रहा, सीधे डालर भैया सम्मानित कर रहे हैं तो फिर हम लोग ऐसे ढेरों चूतियापे क्यों नहीं प्लान कर सकते ताकि नौकरी वौकरी का चक्कर ही नहीं रहे और इतनी कमाई इसी सब से हो जाए कि हर महीने आराम से एक लाख या पचार हजार रुपये मिल जाएं। अगर आप में से भी कोई ऐसा करना चाहता है तो मुझे खुशी होगी। मुझे ऐसे साहसी और प्रयोगधर्मी लोग चाहिए जिनसे साथ मैं बतौर पार्टनर कुछ चूतियापे शुरू कर सकूं, बिलकुल बराबरी के आधार पर। हालांकि इस तरह की कोशिश पहले भी की थी मैंने पर उस वक्त कुछ वजहों से बात आगे नहीं बढ़ा सका।

देखते हैं, चूतियापे के डालर का चेक कब आता है? भड़ासियों की पार्टी ड्यू है...उस दिन का इंतजार करके आज से ही कहते रहिए....चीयर्स.....!!!

जय भड़ास
यशवंत

3 comments:

मसिजीवी said...

अरे भलेमानस (ये बस हमारा विश्‍वास है, कोई जमानत नहीं ले रहे हैं :)) पहिली बात तो ये कि ससुर इस गूगल के कान बहुत तेज हें और तुम्‍हारी इस अपील से उसके टर्म एंड कंडीशन का उल्‍लंघन होता है इसलिए वो वाकई आपका खाता बंद कर सकता है..सावधान।

और भैया ये भी तो देखें कि क्‍या वाकई आप भी लोगों के ब्‍लॉग पर ये एडक्लिक करते हैं क्‍या। :))

यशवंत सिंह yashwant singh said...

शुक्रिया भाई, मैं कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं हूं, इसलिए वो आह्वाहन एकदम से हटा दे रहा हूं.....
यशवंत

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

ई देखो साला इसको कहते हैं मराठी में ....
येड़ा बन कर पेड़ा खाना
हमारी उल्टी भी गू गल के लिये फ़ायदा देती है तभी तो ऊ ससुर हमका अपना गू गल जाने पर थोड़ा चटा देता है...
जै-जै मनी ,अपना सपना मनी-मनी
जय जय भड़ास