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2.2.08

लो तो हम आ गए

भड़ासियों की तरफ से लगातार मीरा को लिखने को कहा जा रहा हैं। मीरा को तो आप लोग जानते ही हैं। हम तो मनमौजी और आवारा हैं जब जी चाहा कुछ गा गुनगुना लिया। जब जी चाहा कोई कविता लिख दी।आप लोगों की तरह गालियों में तो पीएचडी हैं नहीं कि जब मन किया उसकी तेरे बाप की और तेरे भाई की कर दी।पर इन दिनों ब्लाग्स को देख पढ़ कर कुछ मजा नहीं ाता इसलिए लिखने का मन भी नहीं करता। कुछ दिल्ली की सर्दी भी ऐसी है कि यहां तो घर और काम संभालना ही मुश्किल हो जाता है फिर इतनी ठडं में कौन कंप्यूटर पर माथा मारे। उससे तो बैठ कर बतिया लिया जाए तो क्या बुरा है। इसलिए ब्लागरों की जगह आजकल अपने रियल दुनिया की मित्रों और कलिग्स से ज्यादा बतियाती हूं।


भडासियों की बढ़ती संख्या

यशवंत जी को बधाई । भड़ासियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आशा है कि बहुत जल्दी ही ये सबसे बड़ा कम्यूनिटी ब्लाग बन जाएगा। हिन्दी का तो पहले से ही भड़ास सबसे बड़ा कम्यूनिटी ब्लाग है। हमारे जैसे कुछ लोग शौकिया पढ़ते लिखते इससे ऐसे ही जुड़ते रहेंगे। शायद मेरा यह ब्लाग प्रकाशित होने तक ये 200 के आसापास होंगे तो हम तो यही कहेंगे लगे रहो भड़ासियों


2 comments:

Ashish Maharishi said...

स्‍वागत है मीरा आपका भडा़स की इस दुनिया में

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

मीरा जी ,भड़ासी २०० से ऊपर आ गए हैं ,आपका अनुराग बना रहना चाहिए और अगर कोई ज्यादा मचमच करे तो आप जैसे वरिष्ठ लोगों को चाहिए कि मध्यस्थता करें....
रही बात गालियों की तो उस पर तो धीरे-२ नियंत्रण लोग स्वतः ही कर लेंगे । आपको प्रणाम