Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

16.4.08

कोन धरम है प्यारा जो बन सके हमारा

कोन धरम है प्यारा
जो बन सके हमारा .
कोन धरम है प्यारा
जिसे कह सकू मै
ये है मेरा
सब कहते है
मै हिन्दू हूँ
पर मै कैसे कहू
की मै हिन्दू हूँ
क्युकी कर नही पाती
मै पूजा
उनकी तरह
चाहती हूँ
पर नियम नही रख
पाती हूँ
छू लेती हूँ भगवान् को
जब मन चाहता है
उन दिनों मै भी
जिन दिनो एक लड़की को
भगवान् के पास
जाने से भी
किया जाता है मना
क्या करू मै
ना भी छूना चाहू फिर भी छूना पड़ता है मन्दिर को
जब कोई कहता है
मन्दिर से माचिस लाने को
क्या कहू , कैशे कहू
की आज हूँ मै
उनसे अलग
सच कहू तो
कहना नही चाहती
इश अपमान को सहना नही चाहती
क्यों सहू मै गलती क्या है मेरी
ये नही है मर्जी मै हमारी
तो कैशे कहू की मै हिन्दू हूँ
तो कोन हूँ मै
क्या मै मुस्लिम हूँ
नही मै वो भी नही
क्युकी वो भी तो है
नियम के पक्के
और मै
बहुत ही कच्ची
और वहाँ तो
रहती है औरत
परदे मै पर मै तो
उड़ना चाहती हूँ
मन की मर्जी
करना चाहती हूँ
नही है मुझे
परदा प्यारा
वो बाँध देगा
जीवन सारा
तो कोन हूँ मै
क्या मै सिक्ख हूँ
क्यूंकि उन्ही की तरह
मुझे है प्यारी
मेरी खुद्दारी
पर शायद मै
वो भी नही
क्यूंकि सच्चे पंजाबी भी
नियम के पक्के होते है
और नियम
जिनसे मै कतराती हूँ
तो कोन हूँ मै
क्या मै इसाई हूँ
नही मै वो भी नही
क्युकी वो है
पवित्र बाइबल को मानते
और बाइबल
ध्यान देती है
सफ़ाई पर बहुत
वेसे सफ़ाई
मुझे भी है प्यारी
करती भी हूँ
रोज
घर की , कपड़ो की
पर चाहकर भी
कर नही पाती
मन मै भरी
गंदगी की सफाई
और बाइबल
इसी सफ़ाई को है
मानती
समझ नही आता
आख़िर कोन हूँ मै
केसे करू भेद
की कोन धरम है
प्यारा
जो हो सके मेरा
सबके चेहरे
दिखते है एक से
वही दो कान , दो आँखे
एक नाक , एक मुह
और खून का रंग भी
वही गहरा लाल
और करते भी है सब
उसी अद्रश्य
इश्वर , अल्लाह , वाहेगुरु , जीज़स
की पूजा
सब है एक से
फर्क है तो
चमरी का
पर रंग - बिरंगे
चमरी वाले
तो हर धरम मै है
कैशे करू भेद
की कोन धरम है
प्यारा
जो बन सके मेरा ।

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

कमला बहन,सुन्दर और गहरी अभिव्यक्ति है...

Anonymous said...

kamla jee,

bade gare darshan hain aapke.

lage rahiye.