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13.4.08

भड़ास को सलाम

तकरीबन चालीस घंटे बाद आज भड़ास पर आने का मौका मिला । इस बीच बहुत कुछ हो गया प्रतीत होता है।यशवंत भाई के अनमोल वचन , हरे भाई का बुझा हुआ चूल्हा, बलात्कार की शिकार महिला की सरेआम पिटाई , गाली स्पेशल भड़ास महोत्सव के प्रति साथियों का उत्साह , खास कर मनीष भाई , रजनीश भाई , रुपेश भाई आदि की गाली देने के लिए (महबूबा से मिलने से भी ज्यादा) बेकरारी जैसे कई ज्वलंत मुद्दे है जिनपर उदगार व्यक्त करने के लिए मन बेचैन हो रहा है परन्तु आलस्यवश मैंने एक सरल रास्ता निकालते हुए एक पोस्ट डालने का प्लान बना लिया । सबसे पहले तो भड़ास को सलाम । इसलिए नहीं कि इसपर मुझे पहचान मिली या मेरी लेखनी के कद्रदान मिले । भड़ास को सलाम इसलिए कि इसने गूंगों को भी जबान दी । जो बातें,व्यथाएं , कुंठाएं... गले में अटक कर रह जाती थी , उसे बाहर निकालने का एक मंच दिया भड़ास ने लोगों को । यहाँ आप बिना किसी संशय और संकोच के अपने मन की बात उगल सकते हैं और आपका हौसला बढ़ाने के लिए तत्पर लोग हमेशा तैयार मिलेंगे । भड़ास को इसलिए भी सलाम कि यहाँ पूर्वाग्रह से ग्रसित लोग नहीं पाये जाते हैं । कल यशवंत भाई ने जिस खुले दिल से नए भड़ासियों की तारीफ की वो शायद और कहीं सम्भव नहीं है । यशवंत भाई की एक बात कि यहाँ पर मैं विशेष रूप से चर्चा करना चाहूँगा जिसमें उन्होंने कहा- " ध्यान रखिए, हम मठों को तोड़ रहे हैं तो कहीं अनजाने में, अवचेतन में कहीं एक नए मठ का तो निर्माण नहीं करने लगे हैं।
मेरा मानना है कि हम भड़ास पर वर्जनाओं को तोड़ना चाहते हैं , सच्चे अर्थों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपभोग करना चाहते हैं और मेरा यह भी मानना है कि भड़ास हर ग़लत चीज का विरोध करेगा , संगठित रूप से।
गाली वाला पोस्ट तो मैंने यूँ ही थोड़ी मस्ती लेने के लिए डाल दिया था । भाई लोग तो उसपर गंभीर हो गए दिखते हैं । पर मुझे लगता है कि भड़ासियों की सम्मिलित ऊर्जा का उपयोग यदि सिस्टम में कोई सार्थक बदलाव लाने के लिए हमलोग कर सकें तो तो शायद भड़ास का उद्देश्य सही माने में पूरा हो सकेगा । जिस तरह से भड़ासियों की संख्या में इजाफा हो रहा है , हम समाज में एक बड़ी ताकत बन कर ऊभर सकते हैं और इस ताकत का उपयोग हरे भाई सहित अन्य लोगों की सिलिंडर समस्या , महिला की सरेआम पिटाई , पुलिस की मनमानी , अपहरण , बलात्कार , मंहगाई गुंडागर्दी आदि तमाम तरह की बुराइयों का सफलता पूर्वक मुकाबला कर सकते हैं.
तो जिस भड़ास ने इतनी सारी सकारात्मक संभावनाओं के दरवाजे हमारे लिए खोले हैं , उसको सलाम करना तो बनता है । शेष फ़िर । जल्द ही ।
वरुण राय

3 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

वरूण भाई,हमनें गूंगों को संकेतों की भाषा सिखाई जिसमें कि संकेतों में ही गलत बात के प्रतिकार के लिये कैसे गरियाना है बाकी तो सारी दुनिया देख रही है कि कल तक जो गूंगे थे आज कैसा कफ़न आड़ कर बोल रहे हैं......
आप को धन्यवाद कि आपने हमारे सुर में सुर मिलाया...
जय जय भड़ास

यशवंत सिंह yashwant singh said...

उचित वचन।
सहमत।
जय हिंद।

Anonymous said...

bhai,
hum bhadaasi hain gali ka vachan sirf gariyana nahi hai apitu vyavastha par gunge achetan or bebasee ko torte hue ekakaar hokar virodh karna hai chahe gaali se ho ya laathi se yaa fir prem se.

Jai Jai Bhadaas