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23.4.08

स्त्री एक रूप अनेक






























































































3 comments:

यशवंत सिंह yashwant singh said...

तस्वीरों के जरिए पूरी कहानी बयान कर दी आपने। काफी मेहनत की है आपने इन तस्वीरों को जुटाने, संयोजित करने फिर ब्लाग पर अपलोड करने में। शुक्रिया।

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

कमला बहन,स्त्री के रूपों के बाद आपके नजरिये से लोग पुरुषों के विभिन्न रूपों के बारे में जानना चाहेंगे लेकिन क्या बात है कि आप जैसी उदारमना स्त्री ने मनीषा दीदी के लेख को पढ़ कर एक टिप्पणी तक नहीं करी या फिर आप भी बस स्त्री और पुरुषों की सोच का झूला झूलती हैं? लैंगिक विकलांग लोग आपके लिये मानव ही नहीं हैं?? अगर आपको इस बात का बुरा लगे तो भी क्षमा नहीं चाहूंगा......

Anonymous said...

कमला जी तेरे रूप अनेक ,
अच्छा चित्र चरित्र है.