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14.4.08

येः भड़ास भी क्या-क्या कर देता है....

अभी भड़ास पढ़ रहा था की उसपर मेरे बेहद सम्मानीय अनिल भरद्वाज जी के कमेंट पढने को मिल गए .....क्या अनुभूति हुयी..कैसे कहूँ....तोः जान लीजिये....अनिल दादा के बारे में ...दैनिक भास्कर में सीनियर सब एडिटर हैं....सही बात कहने के आदी..आपको अच्छी लगे तोः बल्ले बल्ले, वरना पतली गली से निकल ले...हम सब अपने घरों से दूर थे लेकिन अनिल दादा का हंसोड़ और मस्त व्यवहार सबको बड़ा भाता था....हम सब काबिल और तेज लड़के थे लेकिन अनुभव और दुनियादारी की बेहद कमी... अनिल दादा जब देखते की हम लोग कोई चुतियापा कर रहे हैं तोः तुरंत सलाह देते .....वोः भी २४ कैरेट शुद्ध....इधर अनिल दादा ने भडास पर मुझे देखा और बेहद शानदार सलाह दे डाली...धन्यवाद दादा .......दरअसल यूं तोः हममे और इनकी पीड़ी में खासा फर्क था..हम ब्रांडेड के दीवाने खासकर मैं( मेरे पिताजी कहते हैं...ब्रांडेड सोचो, ब्रांडेड पहनो, ब्रांडेड करो) येः सलाह इतना पसंद आई की आजतक ब्रांड का भूत मेरा पीछा नही छोड़ता है...और अनिल दादा बेहद सरल जीवन जीने के आदी....पहले तोः लगा की यार इन ओल्ड मॉडल लोगों को कैसे झेलूँगा पर जब नजदीक आता गया तोःइन सब के प्रति श्रद्धा और सम्मान मन में उपजा...

आज बडे दिन बाद अनिल दादा को देखा तोः रहा नही गया उनके प्रति आभार प्रकट करने से...और हाँ अनिल दादा लुधियाना में नवीन सर और राजीव सर से मेरा प्रणाम कहियेगा....इनके प्रति मेरे मन में सिर्फ़ और सिर्फ़ श्रद्धा ही हो सकती है...और कुछ नहीं....बाकी उम्मीद है भास्कर में बुरे लोग अभी भी जिंदा होंगे उन्हे भी जिंदा रहने का हक है...और आपकी लड़ाई उनके ख़िलाफ़ जारी होगी.....लगे रहिये..प्रेम देने में और बुरे लोगों से लड़ने में...

आपका हृदयेंद्र

(दोस्तों मेरी मीडिया दिग्गजों पर सीरीज़ शुरू होगी गुरुवार से....और पहले दिग्गज होंगे जिनके बारे में मैं लिखूंगा....मधुकर उपाध्याय.....मधुकर जी ....बेहद सफल लेखक हैं...बीबीसी के बेहद लोकप्रिय रिपोर्टर रहे हैं....हमारी पूरी पीढ़ी इनको सुनते और पड़ते बड़ी हुयी है...आजकल मधुकर जी आज समाज नामके एक नौनिहाल अखबार के समूह सम्पादक हैं....और इनका लिखना बदस्तूर जारी है).......

शुक्रिया, शब्बा खैर .....आप सबका

हृदयेंद्र

4 comments:

अबरार अहमद said...

सही कहा हृदयेंद्र जी आपने, अनिल सर के व्यक्तित्व की जितनी सराहना की जाए कम है। अनिल जी ने अपने जीवन में जो एक चीज सबसे कमाई है वह है लोगों का सम्मान। इसके लिए उन्होंने मेहनत भी खूब की है। मुझे याद है जब मैं उनके साथ अमर उजाला जालंधर में था तो साथ काम करने वाला हर साथी दिक्कत में अगर किसी को याद करता था तो अनिल सर को। चाहे कोई कागजी कार्रवाई हो या किसी के घर अचानक गैस खत्म हो जाए अनिल जी हमेशा तैयार रहते हैं। अपना काम तो हर कोई कर लेता है पर दूसरों की मदद कैसे की जाती है यह कोई अनिल सर से पूछे। यही वजह है कि वह जहां भी रहते हैं उनका सम्मान करने वालों की कमी नहीं होती।

Anonymous said...

अबरार जी सही कहा आपने। अनिल जी की जितनी तारिफ की जाय कम है। वह वाकई में दोस्तों के दोस्त हैं।मुसीबत में फंसे लोंगों की मदद करना तो वह अपना फर्ज समझते हैं। उनकी प्रखर बुदधी का भी कोई जवाब नहीं। हर काम का हल चुटकी में उनके पास मौजूद है। काश अमर उजाला ने उनकी प्रतिभा को समझ उनसे रिपोर्टिंग कराई होती। खैर वह जिस मुकाम पर भी हैं अपनी मेहनत की वजह से है।

Anonymous said...

अबरार जी सही कहा आपने। अनिल जी की जितनी तारिफ की जाय कम है। वह वाकई में दोस्तों के दोस्त हैं।मुसीबत में फंसे लोंगों की मदद करना तो वह अपना फर्ज समझते हैं। उनकी प्रखर बुदधी का भी कोई जवाब नहीं। हर काम का हल चुटकी में उनके पास मौजूद है। काश अमर उजाला ने उनकी प्रतिभा को समझ उनसे रिपोर्टिंग कराई होती। खैर वह जिस मुकाम पर भी हैं अपनी मेहनत की वजह से है।

Anonymous said...

अबरार जी सही कहा आपने। अनिल जी की जितनी तारिफ की जाय कम है। वह वाकई में दोस्तों के दोस्त हैं।मुसीबत में फंसे लोंगों की मदद करना तो वह अपना फर्ज समझते हैं। उनकी प्रखर बुदधी का भी कोई जवाब नहीं। हर काम का हल चुटकी में उनके पास मौजूद है। काश अमर उजाला ने उनकी प्रतिभा को समझ उनसे रिपोर्टिंग कराई होती। खैर वह जिस मुकाम पर भी हैं अपनी मेहनत की वजह से है।