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15.4.08

भाई मयंक श्रीवास्तव

भाई मयंक श्रीवास्तव
जिस देश की पीढ़ी अपने शहीदों को भूल जाती है, उस देश की आजादी बहुत दिनों तक बरकरार नहीं रह पाती है। आपने बैसाखी के जरिए शहीद ऊधम सिंह का पुण्य स्मरण कराया, उसके लिए हम सभी भड़ासी आपके हृदय से कृतज्ञ हैं। जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर हमें आजादी दिलाई है,उनका स्मरण न करने से बड़ा जघन्य अपराध और कुछ हो ही नहीं सकता। मैं इस संदर्भ में निवेदन करना चाहूंगा कि मैं स्वयं शहीदों के लिए अपनी क्षमताभर कुछ-न-कुछ करता रहता हूं। काकोरी के शहीद पं. राम प्रसाद बिसमिल पर मैंने सरफरोशी की तमन्ना टेली फिल्म बनाई है और राष्टीय प्रसारण के लिए १८५७ के अमर शहीदों पर २५ रूपक लिख चुका हूं।आजकल पं. राम प्रसाद बिसमिल फाउंडेशन का अध्यक्ष हूं। आप मेरे आत्मीय अभिवादन स्वीकारें।
पं. सुरेश नीरव
९८१०२४३९६६

3 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

पंडित जी,हमारा भी फ़ाऊंडेशन बना लीजिये पता नही कब काम आ जाये। इन सबको याद कर-करके सुलगता रहता हूं कि अगर आज होते तो इन बहादुरों से थोड़ी सी आग और मांग लेता जो खुद में नहीं है....

Anonymous said...

pandit jee,

hum bhi aapke punit karya main aapke saath hain, waisai rupesh bhai acha hai ki woh aaj nahi hain aap main waisai hi bahoot aag hai or jyada hogee to khud to jaloge hi pata nahi kis kis ki raakh udaouge.

Jai Bhadaas

मयंक said...

पंडित जी पहली बात कि मैं मयंक श्रीवास्तव नहीं मयंक सक्सेना हूँ ........ दूसरी यह कि मैं इस के लिए कोई अभिवादन नहीं चाहता क्यूंकि कर्तव्य पालन के लिए कोई अभिवादन नहीं किया जाता बस मुस्कुरा दिया जाता है !!