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17.4.08

हम तो करेंगे



आज अनायास ही जाने माने कवि, साहित्यकार एवं कला के ज्ञानी 'अशोक चक्रधर' साहब की वेबसाईट पर चला गया। अशोक जी को मै बचपन से एक हास्य कवि के रूप में देखता आया हूं। फ़िर नौकरी के सिलसिले में २००१ में जब दिल्ली आना हुआ तो जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में
उनके शिक्षा संबन्धी योगदान को भी देखा। खैर उनके लिये कोई भूमिका बांधने की ज़रूरत नही है। मै उनकी वेबसाईट से उनकी एक कविता यहां चिपका रहा हूं, मुझे तो ये कविता भडासी व्यक्तित्व का आईना सा लगी।
आप लोग बतायें आपका क्या कहना है?
कविता का शीर्षक है।


हम तो करेंगे
गुनह करेंगे
पुनह करेंगे।
वजह नही
बेवजह करेंगे।
कल से ही लो
कलह करेंगे।
जज़्बातों को
ज़िबह करेंगे।
निर्लज्जों से
निबह करेंगे।
सुलगाने को
सुलह करेंगे।
हम ज़ालिम क्यों
जिरह करेंगे
संबंधों में
गिरह करेंगे
रस विशेष में
विरह करेंगे
जो हो, अपनी
तरह करेंगे
रात में चूके
सुबह करेंगे।
गुनह करेंगे
पुनह करेंगे।

साभार : अशोक चक्रधर

1 comment:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

अंकित भाई, हर जागे हुए इंसान के भीतर भड़ास मौजूद ही रहती है बस उसे व्यक्त करने का मंच हमारे पास है। ये कविता बिलकुल हम सबके लिये ही है,अशोक चक्रधर जी भी अपनी कविता में भड़ास ही तो निकाल रहे हैं । ऐसे ही मोती तलाश कर लाते रहिये धन्यवाद....