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30.4.08

रावण वध



भारतीय हाकी के विजयादशमी पर्व की आप सबको हार्दिक बधाई !!!


3 comments:

VARUN ROY said...

तस्वीर बहुत माकूल है मयंक जी. एक सड़ा हुआ आम कैसे पूरी टोकरी के आमों को सड़ा देता है, केपी एस गिल इसका अच्छा उदाहरण है. अब हम हॉकी का भला होता हुआ शायद देख सकते हैं. और हाँ, अगर आप चाहें तो अपने ब्लॉगर डैशबोर्ड पर जाकर बाकी की दो तस्वीर मिटा सकते हैं. इसके लिए आपको भड़ास के पोस्ट वाले आइकन पर क्लिक करना होगा .
वरुण राय

Anonymous said...

भाई ,
आपने सत्य लिखा मैं ये नही कहूँगा, झूट है ये ये भी नही कहूँगा , के पी एस गिल की काबिलियत पर किसी को शक भी नही होगा क्यूंकि गिल साब ने पंजाब में कई के गिल्ली डंडे उखारे हैं। मगर एक बात तय है की एक बेहतरीन सभी जगह बेहतरीन नही हो सकता। और ये उसे समझना चाहिए।
गिल साब की समझ में ये बात नही ई ये दुःख की बात है।
जय जय भडास।

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

गिल जैसे गिलगिले लिबलिबे चिपचिपे सड़ी हुई तानाशाही सोच वाले आदमी के बारे में सही लिखा और व्यंगचित्र तो भाई दशानन का अपमान प्रतीत हो रहा है वो एक विद्वान था और ये सनकी सठिआया हुआ... :)