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12.4.08

जी सरदार कुल दो सौ साठ.....?? इ हुई न बात अब बड़ा मजा आबे लड़ैया में:

कुल दो सौ साठ भडासी..न ज्यादा न कम....इ लियो एकाध सप्ताह में चालीस के बाद कुल तीन सौ ....अरे बाप रे बाप......हिल गया...हिला दिया .....झारा फिरने के टेम में एकांत में एकदम दार्शनिक मूड में कभी यशवंत बाबू ने सोचा होगा,कल्पना किया होगा बिल्कुल आइ नेक्स्ट पैदा करने के माफिक की कुछ ऐसा ...कुछ बिल्कुल ऐसा...सच्ची भड़ास जैसा पैदा लेने का मांगता ....अब लो..बिल्लो रानी इ त सपना दिन दुनी रात नौगुनी बढ़ रहा है.सुकून मिल रहा है की हमारे जैसन जरल,बुरल लोग भी अपनी बात कस के ,दम से ...धमाक से,बमक से बोल के अ जाते हैं। साहेब लोगों की गांड में ऊँगली दे कर पाछे घुर कर हिस्स से फुसुक देते हैं,खिसिया जाता है,मिजैज एक दम बेकल है चुतिओं का की साला इ भडास पगला गया है का?



नही रे पगला जावेगा तो तोर जैसन पागल का इलाज कौन करेगा रे?



सही में चारो तरफ़ पागल का भीड़ है,वे एक दुसरे को नोच रहे हैं,खसोट रहे हैं ,लुट रहे हैं,जिसको जैसे मन में आ रहा है वैसे कर रहा है....आम जनता रंडी की चूत बनी हुई है और साहेब लोग धिपल लंड रोज बजार रहे हैं.और देखो इ बुरबक को फ़िर भी आगे पाछे...जी सर..जी सर ...जी साहेब जी जी............//यशवंत दादा ने बिल्कुल सही कहा नो दादा ,नो सर.....नही तो अपन लोग भी मठाधिशी के वाइरस का शिकार हो जाएगा ,अपन लोगन में भी मालिक वाला ताव आ जाएगा और अंत में वो ही होगा जिसके लिए हम लोगों ने ऐसा सोचा था। तो भाई बहिन लोग गुरु गोंसाई के आदेशानुसार अब सोझे डंडा कपार पर बजारो और खुल कर ,बेहिचक क्रांति का शंख नाद करो ,क्योंकि 'भडास'' वास्तव में धीरे-धीरे आम अवाम की आवाज बनती जा रही है। हारे हुए,बेइज्जत किए हुए,निराश लोगन के लिए आशा का टावर साबित हो रहा है अपना भडास ,सोए हुए हिंदुस्तान को जगा रहा है अपना भडास तो भिडू लोग नेटवर्क फेल न हो जाएइसलिए गुरु का नसीहत ध्यान में रख कर एक बार जोर लगा कर फेर से बोलो जय...जय.....जय हो ..जय हो भडास
जय भड़ास
जय यशवंत (हम बोल्बे करेंगे)
मनीष राज बेगुसराय

3 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

जय भड़ास
जय यशवंत
जय मनीषराज
जय क ख ग घ
जय च छ ज झ
..........
..........
जय क्ष त्र ज्ञ
जय A B C....Z
पर हर हाल में जय जय भड़ास

Unknown said...

jio manish raja tum jo bolna hai bolo raja....
kbhi mera bhi bolo, kbhi apna bhi bolo, kabhi billo rani ka bolo....
sbki bolo prem se
yar tumhara likha mujhe itna psnd aata hai kabhi-kabhi ki mn krta hai jaan de dedoon...pr apni billo rani bura man gayi to...to...?

Anonymous said...

ha ha ha ha ,

hare bhai ka katthan sabse badhiya,
manish bhai pata nahi tum kya kya ho magar hamre dada ko dada.....
dada...... or dada ke padvin se na utarab ke batba dil main man main rach bas gayee hai.

dada ki jai
jai ho dada
jai jai bhadaad