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14.4.08

मशाल दौर

भड़ास का मंच यदि भड़ास निकालने का ही जगह है तो ओलंपिक मशाल पर भी अपनी भड़ास निकाला जाय । तिब्बतियों के दिमाग को दाद देना होगा की उनलोगों ने पीक समय पर विरोध प्रदर्शनी सुरू किया। आख़िर अपने ही घर में यदि आप को अल्पसंख्यक बना दिया जा तो गुस्सा फूटेगा ही। मशाल दौर जिस प्रकार बाधा दौर बनता जा रहा है उससे इस अंदेशा की सम्भावना बढ़ रही है की कह्नी बिजीइंग का उद्घाटन आंसू ना बहाए ।
अपने भूटिया भाई ने तो मशाल दौर का boycottकर दिया , अब किरण बेदी की भी यही राह है। मान लिया की भड़ास टीम को मशाल दौर में न्यौता जाए तो यशवंत दादा की टीम इस बाधा दौर में भाग लेगी ? मैं तो पुरी तरह तिब्बतियों के साथ हूँ और भारत सरकार के चीनी तंत्र के प्रति यश्मैन भूमिका के खिलाफ । तिब्बत को चीन का अभिन्न अंग कह कर भारत को चीन thore ही akshai की kabjai jameen lautaega या और भी kabja करने का mansuba को chhorega । कुछ लोगों का मत यह है की khel को rajneeti से अलग रखा जाए तो क्या वे ऐसा कोई सबूत दे पायेंगे jahan khel में पैसा और rajniti की न chalti हो। khel तो आज पैसा कमाने का sadhan और इसके aayojak के rajnitik कद की lambai बढ़ने wala jariya बन गया है। tibbatee लोगों olympic aayojan के बाद चीन आप पर hantar barsayega और हम क्या कर legen......?

6 comments:

Unknown said...

मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ. खेल कभी पैसे और राजनीति से अप्रभावित नहीं रहे. ओलंपिक खेलों का आयोजन हमेशा सरकारें ही करती रही हैं. खेलों के दौरान हर बात सरकारी तंत्र के नियंत्रण में ही होती है. अब यदि तिबतियों ने ओलंपिक खेलों के दौरान प्रदर्शन किए हैं और कर रहे हैं तब इस में क्या बुराई है?

VARUN ROY said...

दीपक जी,
चीनियों के लाख विरोधी होने के बावजूद भारत सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि ओलंपिक मशाल यहाँ से सुरक्षित और बिना किसी विवाद के गुजर जाए. व्यक्तिगत विरोधों की बात अलग है. सरकार चाह कर भी खुले तौर पर तिब्बतियों का साथ नहीं दे सकती है. वो शेर शायद अपने सुना होगा-
जिस आग में जलता हूँ उस आग में जलना है तुझे
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे
चीनी सरकार यही शेर सुनाना शुरू कर देगी क्योंकि हम भी कुछ इसी परिस्थिति से गुजर रहे हैं. एक बात और है . भारत सरकार तो ऐसे भी चीन के विरुद्ध ज्यादा चूँ-चपड़ नही कर सकती है क्योंकि सरकार की लगाम कुछ ऐसे लोगों के हाथ में है जिनकी वफादारी भारत से ज्यादा चीन की तरफ़ है.
वरुण राय

Anonymous said...

varun bhai aapne satya kaha hai, magar deepak bhai ka kathan bhi satya hai or hamen, mera matlab hai ki hamare bhadaas parivaar ko ismain apna mat jaroor rakhna chahiye.
hum olympic ke khilaaf nahi hain
hum china ke bhi khilaaf nahi hai
magar tibbat ke saath to hain hi.

Jai JAi Bhadaas

VARUN ROY said...

रजनीश भाई,
बात तो आपने बड़ी राजनीतिक कही. चीनियों का भी विरोध नहीं और तिब्बतियों का भी साथ. तिब्बतियों का जैसे ही आप साथ देंगे, चीन विरोधी तो आप स्वतः हो जायेंगे. वैसे मैं भी तिब्बतियों का समर्थक हूँ और व्यक्तिगत स्तर पर हम स्वतंत्र हैं इसके लिए. सरकार के हाथ अपने घरेलू कारणों से बंधे हुए हैं.
वरुण राय
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डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

कोई राजनैतिक या कूटनीतिक उत्तर नहीं, एकदम साफ बात कि भड़ास तो बस दबे कुचलों के साथ हैं चाहे वे तिब्बती हों या कश्मीरी पंडित....
जिसे बुरा लगता हो उसकी तो॒॑॓%ऽ*॒॓*(<>)(v)...
जय जय भड़ास

KAMLABHANDARI said...

deepak ji caahe hum olimpic masaal ke saath chale ya na chale par humare desh ki ijjat ka sawal hai ki mashal yaha se surakshit uske sthan par pahunch jaaye.
aapka lekh kabile taarif hai .