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13.4.08

गांधी गोडसे संवाद

इधर कुछ दिनों की बात है
टहलते हुए बापू कहीं
गोडसे से टकरा गए
अंकपाश में उसे भरा बापू ने
छलक पड़े बरबस ही आंसू
कहा तेरा ऋणी हूँ गोडसे
मेरी कृतज्ञता स्वीकार करो।

व्यर्थ ही लोग करते हैं घृणा तुझसे
तुझे हत्यारा समझते हैं मेरा
नादाँ हैं नहीं जानते
तूने क्या उपकार किया है मुझपर
सचमुच मैं तेरा ऋणी हूँ गोडसे
मेरी कृतज्ञता स्वीकार करो।

तू अगर न मारता मुझे
तू अगर न ताड़ता मुझे
अपने वतन की दुर्दशा मैं कैसे सहता
सपनों के भारत की ये दशा मैं कैसे सहता।

भूखों की पुकार मैं कैसे सहता
अबलाओं की चीत्कार मैं कैसे सहता
माँ बहनों का बलात्कार मैं कैसे सहता
मैं तेरा ऋणी हूँ गोडसे
मेरी कृतज्ञता स्वीकार करो।

तू ही बता मेरे भाई
बेटियों को जलता
क्या मैं देख पाता
बाप को बेबसी में हाथ मलते
क्या मैं देख पाता
हरी का जन कहा था जिसे मैंने
उसे सिर्फ़ वोट बनते
क्या मैं देख पाता ।

नैतिकता में इतनी गिरावट
क्या मैं देख पाता
धर्म राजनीति की ये मिलावट
क्या मैं देख पाता
था अहिंसा का मैं पुजारी
सर्वत्र हिंसा क्या मैं देख पाता ।

भ्रष्ट राजनीति,भ्रष्ट नेता
भ्रष्ट अफसर, भ्रष्ट प्रणेता
भ्रष्ट लोक, भ्रष्ट तंत्र
ऐसा लोकतंत्र
क्या मैं देख पाता ।

तू न लेता प्रतिकार अगर
तू न करता उद्धार अगर
यह अनाचार, यह अनीति
क्या मैं देख पाता
सिर्फ़ वोट की ये राजनीति
क्या मैं देख पाता
गुलाम भारत की
आजादी देखी थी मैंने
आजाद भारत की
ये गुलामी क्या मैं देख पाता ।
इसलिए तेरा ऋणी हूँ गोडसे
मेरी कृतज्ञता स्वीकार करो।

जड़वत हतप्रभ सा गोडसे
बापू की बातें सुनता रहा
बहती रही आंखों से
आंसुओं की अविरल धारा
प्रायश्चित के इन आंसुओं में
पाप उसका धुलता रहा
लिपट कर बापू के पैरों से
इतना ही वह कह सका
तुझे मार कर बापू
यह गोडसे तो शर्मिंदा है
पर अफ़सोस है तेरी धरा पर
आज भी
अनगिनत गोडसे जिंदा है।
वरुण राय

4 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

वरुण भाई,गहरा बहुत गहरा है दिल के भीतर तक उतर गया ये संवाद,साधुवाद स्वीकारिये...

अबरार अहमद said...

वरूण भाई दिल में उतर गई आपकी कविता। वाकई अगर गांधी जी होते तो उनके यही उदगार होते। वर्तमान हालातों को गांधी गोडसे संवाद के रूप में हमारे सामने लाने के लिए आपको बधाई। बहुत खूब।

यशवंत सिंह yashwant singh said...

शानदार वरूण भाई....कीप इट अप..

Anonymous said...

waah waah...

maja aa gaya

badhai bhai,

satya hai gandhi ka desh ab bas gandhi ko do hi din yaad rakhta hai baki dino ke liye hum gode ko hi poojte hain.

Shaandaar hai