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10.4.08

कभी - कभी

मुझे पछतावा होता है कभी - कभी
की मै बेटी हूँ
पर क्या बेटे को भी होता है
की वो बेटा है
मै रोती हू कभी - कभी
की मै बेटी हूँ
पर क्या बेटा भी रोता है
की वो बेटा है
मै हंसती हू कभी - कभी
की मै बेटी हू
पर क्या बेटा भी हँसता है
की वो बेटा है
मै सुनती हू गाली कभी - कभी
की मै बेटी हू
पर क्या बेटा भी सुनता है
की वो बेटा है
मै सुनती हू ताने हमेशा
की मै बेटी हू
पर क्या बेटा भी .......................

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

कमला बहन,गहरा द्वंद्व उकेरा है कविता में,सुन्दर है...

Unknown said...

bahut achchhi kvita....