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4.5.08

जाना पड़ा ठाकुर को

----Bhadas Breaking News----

दैनिक जागरण, लुधियाना के संपादकीय प्रभारी प्रदीप ठाकुर से इस्तीफा ले लिया गया है। प्रदीप ठाकुर की जिन कुछ खासियतों के चलते दैनिक जागरण, लुधियाना में उनकी तूती बोलती थी उसमें उनका जबर्दस्त बिजनेस लिंक है। लुधियाना कई बड़ी राष्ट्रीय कंपनियों का मुख्यालय है जिनके जरिए प्रदीप ठाकुर ने दैनिक जागरण को बड़े स्तर पर विज्ञापन और बिजनेस दिए। बाद में उन पर कई तरह के आरोप लगे और इन्हीं आरोपों के चलते उन्हें जाना पड़ा।

11 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

दादा,ऐसे पत्रकार के लिये नौकरियों की कमी नहीं रहेगी क्योंकि अनेक लालाजी टाइप के लोग ऐसे ही लोगों के इंतजार में बैठे रहते हैं उन्हें पत्रकार नहीं ठाकुर किस्म के प्राणी ही चाहिये होते हैं.....
जय जय भड़ास

Anonymous said...

दादा कि जय हो,
दादा अगर इसे पत्रकार ना होते तो मोदी से रूसवाई जरूर मीडिया में आती.
बहरहाल चलो ठाकुर जहाँ भी जाएं अपना चौथा खम्भा मोटा तो कर ही गए.
जय जय भडास.

VARUN ROY said...

बड़ी विकट परिस्थिति है यशवंत भाई. भ्रष्टाचार का तो वो वाला आलम हो गया है - जिधर देखता हूँ उधर तुम ही तुम हो . मुझे तो कभी कभी बड़ी निराशा होती है. आपको लगता है कि निकट भविष्य में कोई सुधर होने वाला है?
वरुण राय

जेपी नारायण said...

दैनिक जागरण ही नहीं, पूरे अखबार जगत में श्री देवेश गुप्ता और श्री तरुण गुप्ता ऐसे निदेशक हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और मनुष्यता दोनों का पूरे जागरण ग्रुप में लोहा मनवाया है। दोनों निदेशक बंधु अपने कर्मचारियों के बीच जितने लोकप्रिय हैं, और संपादकीय समझ में जितने प्रौढ़ हैं, कहा जा सकता है कि जागरण का मेरठ परिक्षेत्र अनायास ही नहीं अपने पूरे ग्रुप में लगातार अग्रणी बना हुआ है। इसके पीछे दोनों निदेशक बंधुओं की वही पहचान उनकी सबसे बड़ी ताकत हो सकती है, जिसके अभाव में प्रदीप ठाकुर जैसे लोग बहुमंजिली कामयाबियों के हकदार हो जाते हैं और समय आने पर भू-लुंठित नजर आते हैं। दैनिक जागरण मेरठ के निदेशक बंधुओं ने ऐसे लोगों को न तो कभी भाव दिया, न बर्दाश्त किया। संजय शुक्ल जैसे लोग इसके साक्षात उदाहरण हो सकते हैं।

जेपी नारायण said...

दैनिक जागरण ही नहीं, पूरे अखबार जगत में श्री देवेश गुप्ता और श्री तरुण गुप्ता ऐसे निदेशक हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और मनुष्यता दोनों का पूरे जागरण ग्रुप में लोहा मनवाया है। दोनों निदेशक बंधु अपने कर्मचारियों के बीच जितने लोकप्रिय हैं, और संपादकीय समझ में जितने प्रौढ़ हैं, कहा जा सकता है कि जागरण का मेरठ परिक्षेत्र अनायास ही नहीं अपने पूरे ग्रुप में लगातार अग्रणी बना हुआ है। इसके पीछे दोनों निदेशक बंधुओं की वही पहचान उनकी सबसे बड़ी ताकत हो सकती है, जिसके अभाव में प्रदीप ठाकुर जैसे लोग बहुमंजिली कामयाबियों के हकदार हो जाते हैं और समय आने पर भू-लुंठित नजर आते हैं। दैनिक जागरण मेरठ के निदेशक बंधुओं ने ऐसे लोगों को न तो कभी भाव दिया, न बर्दाश्त किया। संजय शुक्ल जैसे लोग इसके साक्षात उदाहरण हो सकते हैं।

अनिल भारद्वाज, लुधियाना said...

Bhaiyo mein Kabhi bhukh ki chati par utsaav nahi manata. Journalists should analysis there own character. Geeta says Jaisa karam karoge waisa phal dega bhagwan. May God give courage to the journalist that they may live a brave and life Full of truth. And my near and dear senior journalist who are giving support to dalals type stringers may show them the way to road otherwise they also have to suffer.

प्रदीप मिश्र said...

jab patrkaron ki demand bad rahi hai, Akhbaron ka expansion ho raha hai, aise mein ek editor type jeev ka berozgar hona koi badi baat nahin hai. badi baat yeh hai ki ve corruption ke charge mein nikale gaye, lanat hai.

Anonymous said...

dua karo k baki akhbaro ke chirkut rishwatkhor aur bhrisht log bhee apne anjam tak pahunch jaye.

Anonymous said...

dua karo k baki akhbaro ke chirkut rishwatkhor aur bhrisht log bhee apne anjam tak pahunch jaye.

Anonymous said...

yeh kaam bahut pehle hi ho jata to Dainik jagran ki itni buri halat na hoti. jagran parivar se tutne wali achhi team bhi yahi hoti or dainik jagran sirf kagjo mein nahi balki sach mein no. 1 ki position par hota. pardeep thakur par pehle bhe ludhiana k police station no. 5 mein dhokhadhadi (420) ke aarop mein FIR darz ho chuki hai. income tax iske ghar mein raid kar chuka hai. shraab and power k nashe mein choor yeh ghatiya insaan padosiyo ki galiyaan nikalta tha. jo huya achha huya. jo hoga achha hoga.

Anonymous said...

badi badi shekhiyaan bagharne wala ye pardeep thakur aj naukri k liye delhi mein dar dar par bhatak raha hai. jab ludhiana k police division no. 5 mein FIR darj hone k baad kayi log dokhadhadi ki shikayat lekr saamne aaye they. lekin isne sabko apni position ka rob dekar chup kara diya tha. iske ghar ki ek ek eent rishwat ke paiso se kharidi gayi hai. isko yeh nahi pata k iski pehni huyi shirt kitne ki hai.