Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

2.5.08

टीवी पर भड़ास...भड़ास...भड़ास

एनडीटीवी पर भड़ास...भड़ास...भड़ास
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....जाने क्यों लोग मुझसे डरते हैं
.....जाने क्यों लोग प्यार करते हैं
...जाने क्यूं
....जाने क्यूं
........जाने क्यूं!


एनडीटीवी पर रात दस बजे। औरों के बीच चर्चित कवि विष्णु खरे भी। गनीमत रही कि रमणीय स्त्री-विमर्श वाले राजेंद्र यादव नमूदार न हुए। और मुंबई से अजय ब्रह्मात्मज। एंकर की चिंता बच्चन से शुरू होकर बच्चन तक जिस सवाल पर टकटकाती रही, उससे कोई सहमत नहीं दिखा। बीच में मोहल्ला वाले अविनाश महाराज भी सस्वर और विदेह टपका मार गए। खेल के पीछे असली खिलाड़ी वही थे। निशाने पर था भड़ास। बुद्धू बक्से की इस पंचाट में रोकते-छेंकते भी एक जनाब के मुंह से निकल ही गया...भड़ाआआआआआआस!

ऊपर भड़ास,
नीचे भड़ास,
आगे भड़ास,
पीछे भड़ास ...
...जाने क्यूं....जाने क्यूं........जाने क्यूं!


ये भड़ास-भड़ास क्या है भई! य़शवंत सिंह पूछो। वही बताएंगे कि-

जाने क्यों लोग मुझसे डरते हैं
जाने क्यों लोग प्यार करते हैं
जाने क्यूं
जाने क्यूं
जाने क्यूं!


एनडीटीवी से ब्लॉग जगत का सबसे बड़ा सवाल-
इतने मशहूर और लोकप्रिय ब्लॉगर यशवंत का नाम एक बार भी किसी की जुबां पर क्यों नहीं आया, जब मत्थे पर पूरे टाइम भड़ास का बैनर झूलता रहा, साथ में बेहया.ब्लागस्पॉट.कॉम की ताजा पोस्ट की पंक्तियां.....छापो-छापो नंगी नारी....

वैसे कुल मिला कर अव्वू-गब्बू का खेल अच्छा रहा।


प्रस्तुतकर्ता भोजवानी पर 12:02 AM
(saabhar: http://mainbhojpuriya.blogspot.com)


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VARUN ROY has left a new comment on your post "NDTV INDIA पर जय जय भड़ास":

मैंने एन डी टी वी इंडिया पर वो कार्यक्रम देखा था रूपेश भाई परन्तु कुछ कारणों से रात में ही मैं पोस्ट नहीं कर पाया. एक बात शायद आपने नोट किया होगा कि सबसे भयभीत ख़ुद प्रस्तुतकर्ता महोदय लग रहे थे. वो बार बार इशारा कर रहे थे कि कोई खुल कर भड़ास के विरुद्ध कुछ बोले परन्तु सिवा विजेंद्र चौहान जो ख़ुद एक ब्लॉगर हैं किसी ने भड़ास के विरुद्ध बोलना उचित नही समझा.चौहान साहब ने भी इतना कहकर ही संतोष कर लिया कि ब्लोग्वाणी पर भड़ास को नहीं दिखाया जाता है. उन्हें या तो अलेक्सा की रेटिंग का पता नहीं था या जानबूझ कर बताना नहीं चाह रहे थे . भड़ास पर मीडिया से संबंधित हो रहे हमले से प्रस्तुतकर्ता खौफजदा मालूम पड़ रहे थे.स्क्रीन पर जेपीनारायण जी का 'छापो-छापो नंगी नारी' को बार बार दिखा कर खुछ कहने की कोशिश की जा रही थी क्योंकी ये उन्हें अपने ऊपर सीधा हमला लग रहा था. मुझे लगता है अब आएगा खेल का मजा. या तो भड़ास की मेहरबानी से मीडिया में कुछ आत्मावलोकन होगा या भड़ास के विरुद्ध हमला तेज होगा.
जय जय भड़ास
वरुण राय



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VARUN ROY has left a new comment on your post "एन डी टी वी पर ब्लॉग चर्चा":

क्या रूपेश भाई, इशारों को अगर समझो, राज को राज रहने दो. कुछ और लोगों को भी इसी बहाने शब्दकोष पलटने का मौका तो मिले.
और हाँ रजनीश भाई,
मुझे तो लगता है भाई लोग अब रोज भड़ास को उलट-पलट कर देखेंगे कि आज किसकी बारी है. किसका तिया-पांचा होने वाला है भड़ास पर. एक बात और जैसे जैसे भड़ास की लोकप्रियता बढेगी इसपर हमले भी बढेंगे. हमें उसके लिए भी तैयार रहना है.
जय जय भड़ास
वरुण राय


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डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) has left a new comment on your post "NDTV INDIA पर जय जय भड़ास":

वरुण भाई,क्या आप जानते हैं कि विजेन्द्र चौहान कौन हैं? ये साधारण मानव नहीं हैं हम और आप रोटी दाल चावल पर जीवित रहते हैं ये स्याही पर जीवित रहते हैं इस लिये "मसिजीवी" कहलाते हैं। ब्लागवाणी की मैने कैसी बैंड बजायी थी इन बेखबर सज्जन को नहीं पता है क्या? ये सब मुंहचोर किस्म के लोग हैं, आपको एक और रहस्य बता दूं कि ये चोखेरबालियों के कुनबे के "नर" हैं। ये लोग शुतुरमुर्ग की तरह से मिट्टी में मुंडी घुसा कर सोचते हैं कि मुसीबत टल गयी,इन्हें नहीं पता कि अगर मुसीबत भड़ास के रूप में है तो वो दिन ब दिन बढ़ने ही वाली है।


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हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा has left a new comment on your post "NDTV INDIA पर जय जय भड़ास":

रूपेश दादा,चोखेरबाली वो ही बाई लोग हैं जिन्होने यशवंत दादा को चुपचाप अपने ब्लाग से निकाल दिया था तो फिर अगर ये नर भी उन्ही मादाओं के कुनबे का है तो इसे कैसे पता होगा कि भड़ास क्या है(उल्लू कहीं का)उल्लू इस लिये कि इस पक्षी को सूरज नहीं दिखता और ब्लागवाणी तो उल्लुओं का कोटर ही है, मुझे याद है आपने लिखा था"ब्लागवाणी का सर्वनाश हो" जिससे इन चमगादड़ों और उल्लुओं ने खूब फड़फड़ाहट करी थी
जय जय भड़ास


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suresh neerav has left a new comment on your post "दिल्ली वालों का दिल अंग्रेजी से उखड़ रहा है, टीओआ...":

यशवंतजी,
भड़ास अब मीडिया की चर्चाओं की चर्चा में है, यह सार्थक, सुखद और संभावनावान संकेत है। ओर निष्पक्ष अभिव्यक्ति के जयघोष का उत्सव भी। आपको इस सात्विक उपलब्धि हेतु अनेक बधाइयां।
पं. सुरेश नीरव



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Arpit has left a new comment on your post "Aaj tv waalo ko b blog walo ki yaad aa gai. Aaj 10...":

Miss kar diya bhai..
koi youtube pe upload kar do.. plz



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अबरार अहमद has left a new comment on your post "NDTV INDIA पर जय जय भड़ास":

रूपेश भाई सही कहा आपने। हम नित नए आयाम गढ रहे हैं। ब्लागिंग का दूसरा नाम भडास ही समझा जा रहा है। हर किसी की जुबान पर भडास का ही नाम है। इससे पहले की पोस्ट पर जैसे ही रजनीश भाई की पोस्ट से इस बात की जानकारी मिली तो मत पूछिए कितनी खुशी हुई। साथ ही इस बात का मलाल भी रह गया कि मैने इस कार्यक्रम को मिस कर दिया। यह हम सब भडासियों की ताकत ही है जो हम इस मुकाम तक पहुंचे हैं। भडास बोलना जानता है और बोल रहा है और आगे और भी बोलेगा। क्योंकि हम सब सच बोलते हैं वही बोलते हैं जो बोलना है क्योंकि वह भडास हम पचा नहीं सकते क्योंकि हमने इसे निकालना सीख लिया है। भडास ने सभी को एक मंच दिया है। लिखना सीखाया है। बोलना सीखाया है अपना हक छीनना सीखाया है। जरूरत है इस सम्मान को बरकरार रखने की। हम समाज का वह चेहरा दिखाते हैं जो लोग देखना नहीं चाहते, वह बातें सुनाते हैं जो बंद कमरों में तो लोग सुन सकते हैं मगर बाहर बरदाश्त नहीं कर सकते। हम अपनी मुहिम जारी रखेंगे। जो दिल में आएगा उगलेंगे। क्योंकि इसे उगले बिना नींद नहीं आएगी। हमे उन लोगों को नंगा करना है जो सफेद कपडा पहन कर शरीफ होने का दावा तो करते हैं लेकिन हैं नहीं। हमें बोलना है क्योंकि हमें समाज की गंदगी साफ करनी है। हमें लिखना है क्योंकि हमे तस्वीर बदलनी है। रूपेश भाई वह दिन दूर नहीं जब भडास अंतरराष्टीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना लेगा और इंसा अल्लाह बीबीसी लंदन पर अब इसकी चरचा सुनेंगें।
इनकलाब भडास
लडते रहो, बढते रहो
उगल डालो, जो भी मन मे हो
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अबरार अहमद has left a new comment on your post "एन डी टी वी पर ब्लॉग चर्चा":

कोई बात नहीं। यह तो सदियों से चली आ रही परम्परा है। इसमें बदलाव की हम सोच भी नहीं सकते। कडवा सच कोई भी बरदाश्त नहीं कर सकता। हां इस बात के लिए सभी साथियों को बधाई अवश्य देना चाहूंगा कि दायरा बढ रहा है। भडास की ताकत को लोग पहचानने लगे हैं और वह लोग डरने भी लगे हैं जो यह जानते हैं कि यहां सिर्फ सच बोला जाता है, उगली जाती है समाज की गंदगी और नंगा किया जाता है उन सफेदपोश समाजियों को जो वाकई में समाज को गंदा कर रहे हैं। बेबाक लिखने की ताकत ही हमें औरों से जुदा बनाती है और यही हमारा लक्ष्य है। तो साथियों उगल डालो जो भी हो मन में, गले में, दिमाग में क्योंकि हमें कुछ अलग करना है। हमें अपनी भडास निकालनी है चाहे कोई इसे पसंद करे या न करे। इतिहास वही रचते हैं जो भीड से हटकर चलते हैं।
इनकलाब भडास
लडते रहो, बढते रहो


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2 comments:

Anonymous said...

दद्दा टी व पर ही नहीं सब जगह भड़ास भड़ास,
जय हो भडास की

KAMLABHANDARI said...

jai bhadas aur jai jai bhadisi jihone bhadas ko yaha tak pahunchaya.