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4.5.08

भाई रजनीश झा,भाई वरूण राय और बहन कमला भंडारी की सक्रियता


आज दिल में अजीब सी खुशी है और भी भाव उठ रहे हैं जो शायद वैसे ही हैं जो कि यशवंत दादा के दिल में होंगे जब उन्होंने भड़ास में मुझे बतौर माडरेटर स्वीकारा था। अब भड़ास का स्वरूप आप लोगों के सामने है जिस के संचालन के लिये हमें एक पूरा संचालन मंडल बनाना पड़ा क्योंकि अब ये कुनबा बड़ा हो चला है और इसमें दादी-बाबा के साथ में माता-पिता और छोटे-बड़े भाई-बहनों के संग चाचा, मामा, फूफा भी जुड़ गये हैं। अच्छे पड़ोसी खुश हैं और कुढ़ने वाले मरे चले जा रहे हैं। हम सब मिल कर ये देखते हैं कि कुछ लोग गहराई से भड़ास के निर्मल, भावुक और प्रेमाप्लावित दर्शन को सहज ही आत्मसात कर लेते हैं।
अब बिना किसी ज्यादा बड़ी औपचारिक भूमिका के मैं एक प्रस्ताव यशवंत दादा और हरे भइया के साथ भड़ास के सारे संचालक मंडल के सामने रख रहा हूं कि जो सक्रियता और तेज तर्रार तेवर हमारे भाई रजनीश के.झा और भाई वरुण राय ने भड़ास के मंच पर दिखाए हैं उनसे मुझे दिल से ऐसा लगता है कि हमारे ये दोनो भाई भड़ास के संचालक मंडल में शोभायमान होने चाहिये। इनके साथ ही हमारी नवोदित लेखिका बहन कमला भंडारी भी काफ़ी सक्रियता से गद्य और पद्य में मुद्दों को खंगालती हैं तो इन्हें नजरअंदाज करना बिलकुल गलत होगा। मैं निवेदन करता हूं कि आप तीनो लोग यदि मेरे इस प्रस्ताव से इत्तेफ़ाक रखते हैं तो सहमति दें ताकि आप तीनों के नाम विधिवत संचालन मंडल में शामिल करे जा सकें। जब हम किसी जिम्मेदारी की जगह पर आ जाते हैं तो अधिक संतुलन और निष्पछता अनिवार्य हो जाती है, तमामोतमाम पूर्वाग्रहों से मुक्त हो जाना पड़ता है।
चूंकि भड़ास लालाजी की दुकान तो है नहीं कि यहां लाभ-हानि या गणितीय आंकड़ो का हिसाब करा जाए ये तो बस दिल वालो की जगह है। हमें इस मंच से धन तो मिलता नहीं बल्कि बुरे होने का लेबल लग जाता है और कई बार तो जो लोग कथित तौर पर ज्यादा ही शरीफ़ होते हैं भड़ास पर किचकिच हो जाने पर भाग जाना बेहतर समझते हैं। ये कथा ज्यादा पुरानी नहीं है। अगर आप लोग बुरे लोगों द्वारा बुरे कहलाने में जरा भी नहीं डरते तो फिर आइये और घर में अपनी जगह सम्हालिये। जब हम किसी का दुष्ट का बैंड बजाएं तो आप लोग भी उस आरकेस्ट्रा में अपनी ताल देने में पीछे न रहियेगा। एक दिन भड़ास एक स्वतंत्र मीडिया हाउस का रूप ले कर सामने आ जाए तो आश्चर्य न कीजियेगा, भविष्य तो कुछ ऐसा ही दिख रहा है। आप लोग अपनी पूरी योग्यता से सुझाव दीजिये कि और बेहतर क्या करा जा सकता है,क्या-क्या परिवर्तन संभाव्य हैं और यदि हो सके तो अपना परिचय एक पोस्ट के रूप में पूरे गर्व से डालिये जिसमें आप अपनी असफ़लताओं,निराशाओं, सपनो का बेहिचक जिक्र करिये क्योंकि ये प्रोफ़ाइल नहीं बल्कि भड़ास के संचालक मंडल के जिम्मेदार भाग का परिचय होगा, मत गिनाइए उपलब्धियां कि क्या मिला बल्कि ये बताइये कि जो मिला उससे दूसरों को आपने क्या लाभ दे पाया।
मैंने तो अपना विचार सबके सामने रख दिया है अब आगे आप लोग देखिये कि क्या करना है ये कोई राजनैतिक चुनाव तो है नहीं..........
जय जय भड़ास

1 comment:

KAMLABHANDARI said...

rupeshji aapne mujhe ishkaabil samjha ye mere liye bahut sobhagya ki baat hai .mai to humesha hi sach ke saath chalne ko taiyaar baithee hun .me hamesh hi sochti thi ki koi to mujhe kisi kabil samajh le .aapne meri ye muraad bhi aaj poori kar di.aapka bahut-bahut dahnayabaad.kam se kam nikkamepan ka lable kuch to kam hoga hi.