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13.5.08

खीसे में जिसके नामा है

खीसे में जिसके नामा है
आज वही बनता गामा है
हुनरमंद इस नये दौर में
फटा हुआ पाजामा है
खेल सियासत का देखो तो
कर्सी-कुर्सी हंगामा है
जाति धरम है असली चेहरा
देशभक्ति हंगामा है
देख के संसद बच्चा बोला
कितना वंडरफुल ड्रामा है
पावरफुल तो है बस चमचा
नेताजी बस खानसामा है
बुजदिल अशिक मेहबूबा के
बच्चों का बनता मामा है
मत पीना ऑफिस में पऊआ
बॉस का ये हुक्मनामा है
मत गिरना नीरवजी पीकर
गिरतों को किसने थामा है?
पं. सुरेश नीरव
मों.९८१०२४३९६६
(डॉ.रूपेशजी, जो भड़ासी है वह एनाकोंडा अजगर है, यह मैं नहीं मानता मेरी नजर में तो वह शेषनाग है,जिसके फन पर ये पृथ्वी टिकी है। आदर्श और उसूलों की पृथ्वी। उसका फन डोलता है तो पृथ्वी हिलती है।और जिन्हें मैंने केंचुआ कहा है, वह केंचुए ही हैं और ता-उम्र रहेंगे। खैर.. कमला भंडारी और अबरार भाई ने आज के तथाकथित दोस्तों की असलियत पर अपनी सहमति जताई है और रजनीश के.झा भी इस कड़वे सच को स्वीकारते हैं मगर थोड़ी झिझक के साथ। चलिए आपकी अदालत में पेश है एक और नई रचना।)

4 comments:

प्रदीप मिश्र said...

pandit jee aap karte hain aisi tukbandi
badon-badon kee ho jati hai chakbandi
badhai ho ek aur mauzu satire ke liye
ab aap mujhe jaan jayenge
hum aap ko pahchan jayenge

Anonymous said...

पंडित जी प्रणाम.

मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा की आपने मुझे मामा बना दिया.
वैसे पीकर करना ड्रामा ये ही तो आशिकाना है.

जय जय भडास

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

महाराज जी,पीकर गिर ना जाएं इस लिये लेट कर ही पीना उचित रहता है...
आपने रजनीश भाई को दुखी कर दिया अब इनके दुख पर मरहम लगाइये और कुछ पुचकारता सा लिखिए ताकि हमारा भाई मामा होने की पीड़ा से उबर सके.... :)

अबरार अहमद said...

बडे भईया प्रणाम। इसी तरह पीलाते रहिए।