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5.5.08

महानगरों में पत्रकारिता का सच !

आज के इस बदलते युग में हर इंसान अपनी पहचान बनाने में लगा हुआ है फिर इसके लिए उसे कुछ भी कर गुजरना पड़े और इसके लिए सबसे बढिया रास्ता है की आप पत्रकार बन जाओ जी हां आपको पढ़ कर हसी आ रही होगी पर अब ये हकीक़त है अगर हम महानगरों की बात करे तो यह पर आपको बहुत से ऐसे लोग मिल जायेंगे जो अपने आप को किसी भी प्रठिस्तित अख़बार या न्यूज़ चैनल का रिपोर्टर बताएँगे हालाकि उनका सीधे तौर पर उस संस्थान से कोई सम्बन्ध न हो पर आख़िर किसी न किसी ने उनको ये दर्जा दिया है जिसका वो फायदा उठा रहे है शर्म आनी चाहिए ऐसे लोगो को जो उन लोगो के हाथो में ऐसी बागडोर को दिए हुए है जिनका पत्रकारिता जगत से कोई सम्बन्ध नही है आज हर पत्रकार टि आर पी के चक्कर में अपनी नैतिक जिम्मेदारी भूल चुका है मैं स्पेसिल्ली इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकारों के बारे में कह रहा हू चूँकि मै प्रिंट मीडिया से उतना मुताखिब नही हू इस वजह से उस पर कोई भी टिप्परी करना अनुचित होगा लेकिन कही न कही खोट उसमे भी होगी आज महानगरों की तो ये स्थिती हो चुकी है की हर दूसरा व्यक्ति आपको एक ही न्यूज़ चैनल का रिपोर्टर मिल जाएगा हर व्यक्ति की गाड़ी में आपको बड़े बड़े अक्षरों में प्रेस लिखा मिल जाएगा लीजिये साहब हो गए पत्रकार अब इनका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता है अब ये बेरोक रोक टोक कही पर भी आ जा सकते है कुछ भी कर सकते है किसी से भी लड़ सकते है उसे मार सकते है या उसके खिलाफ थाने में झूटी रिपोर्ट लिखा सकते है जी हा ये सब कुछ कर सकते है और आख़िर करे भी क्यों न आख़िर उन सबके पीछे हाथ भी तो इनके बिग बॉस का है मतलब असली रिपोर्टर का भाई सीधा हिसाब है अब चैनल को चाहिए ख़बर ओर ख़बर के लिए रिपोर्टर को तो पूरे सहर में दौड़ना पड़ेगा न अब इतने बड़े महानगरों में कोई अकेला रिपोर्टर कैसे काम करे तो चलिए संस्थान नही तो क्या हुआ हम ही रिपोर्टर नियुक्त करे देते है बस आपके पास एक अदद कैमरा और मोटर साइकिल होनी चाहिए आप भले ही आठवी पास हो इस से कोई फर्क नही पड़ता है यहाँ आपकी एडुकेशन के बारे में कोई भी कुछ नही पूछेगा बस आप को जल्द से जल्द ख़बर ख़बर ले के आनी है आपकी नौकरी पक्की अब बात पेमेंट की तो साहब कुछ दे देते है वरना कुछ ने तो कह रखा है जैसे कही वसूल कर सको कर लेना यार कोई कुछ कहे तो हमे बता देना हम संभाल लेंगे लीजिये साहब बची कुची कसर भी अब पुरी हो गई अब हर वो दूसरा व्यक्ति जो टेंपो स्टैंड पर काम करता था या जो सब्जी का ठेला लगता था या वो जो पहले अपराधी थे पुलिस से बचने के लिए पत्रकार हो गए अब ऐसे ही लोग महानगरों की पत्रकारिता कर रहे है अब आप ख़ुद अंदाजा लगा सकते है की इस टि वी पत्रकारिता ने वास्तव में खबरों का स्वरूप बदल कर रख दिया है अब खबर होती नही है खबर करवाई जाती है ताकि जो असली पत्रकार है उनकी नौकरी बची रहे और जो पत्रकारिता का चोला पहन कर घूम रहे है उनका धंधा भी चलता रहे अब ये हकीक़त लोगो को समझ में आ रही है और अब आम जन मानस अब इस चीज़ को पहचान चुका है अब समय आ गया है की हर पत्रकार अपनी जिम्मेदारी को ख़ुद संभाले और इन व्यक्तियों को कम से कम पत्रकारिता जगत से तो हटा दे ताकि सच्ची पत्रकारिता जिंदा रहे !

अक्षत सक्सेना

5 comments:

यशवंत सिंह yashwant singh said...

आप तो बहुत तेज चैनल निकले। इनवीटेशन भेजते देर नहीं कि आपने तुरंत ज्वाइन कर अपनी भड़ास डायरेक्ट पोस्ट कर दी। ठीक नीचे वाली पोस्ट देखिए, आपने जो मेल किया है उसको मैंने पोस्ट कर दिया। चलिए अक्षत जी, आपके उत्साह और ऊर्जा को देखकर आपके अंदर मुझे एक उत्तम कोटि का भड़ासी अभी से दिखने लगा है। डा. रूपेश जी जरा इस बंदे पर ध्यान दें......भविष्य उज्जवल दिक्खे है...
यशवंत

VARUN ROY said...

अक्षत जी ,
भड़ास पर आपका स्वागत है. यशवंत भाई, जिन्हें प्यार से भड़ासी लोग दद्दा कहते हैं, का, लगता है आप पर विशेष स्नेह है. उन्होंने तो रूपेश भाई को आपपर ध्यान रखने को भी कह दिया. आपके पोस्ट से मैं सहमत हूँ परन्तु भड़ास पर पत्रकारों का बहुत तिया-पांचा किया जा चुका है. रोटी कपड़ा और मकान के बाद सबसे अहम् चीज है शिक्षा और स्वास्थ्य . अगर हम भड़ासी अपनी ऊर्जा को थोड़ा इन चीजों की ओर मोड़ सकें तो समाज में एक गुणात्मक परिवर्तन लाने की पहल कर सकते हैं . एक बार फ़िर आपका भड़ास पर स्वागत है.
वरुण राय

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

आदेश सिर माथे पर....
अक्षत बाबू जरा हमारी ओर देख लीजिये हमें कहा गया है कि हम आपको ताके रहें आप बुरा तो नहीं मानेंगे न? आप यकीन मानिये मैं होमोसैक्सुअलिटी के सख्त खिलाफ़ हूं :)
ही ही ही
खिसिर खिसिर
: ) : )

मुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہ said...

अब खबर होती नही है खबर करवाई जाती है; सही बात है तभी तो लोग खुद को न्यूजमेकर कहते हैं।
डाक्टर साहब! गंदी बात नहीं करते अच्छे बच्चे...

Anonymous said...

अक्षत भाई,
सुस्वागतम,
वैसे वरुण भाई ने सही कहा हमें तथ्यपरक मुद्दों पर सार्थक पहल करनी होगी जो बेचारे मीडिया वाले अपने लाला जी के धंधे के कारण नहीं कर पते. उनकी मजबूरी है मगर हमारी नहीं. वैसे भी आपको डाग्दर साब देख ही रहे हैं सो उन के नजर से बच के रहियेगा. अपनी बात उ खुद्दे कह रहे हैं. नजर नजर में कुछ फिसल ना जाए. सो बस भडास निकालिए और दनदनाते रहिये.
जय जय भडास.