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2.5.08

NDTV INDIA पर जय जय भड़ास

कुछ समय पहले तक मैं अगर इस बात को कहता और यशवंत दादा के शब्द इस्तेमाल करता जैसे उन्होंने एक बार कहा था कि चूतियापा डॉलर में कन्वर्ट हो रहा है तो आज मैं ये कहता कि भाई-भैन लोग हमारा चूतियापा राष्ट्रीय स्तर की चर्चा बन गया है। लेकिन आज हमारे इस चूतियापे ने संजीदगी के साथ-साथ कई और आयाम प्रस्तुत कर दिये हैं। दिनांक १ मई को NDTV INDIA ने १० बजे रात को एक चर्चा रखी जिसकी विषयवस्तु ब्लागिंग थी। कई भले से लोग चर्चा में थे जैसे कि अजय ब्रह्मात्मज, विष्णु जी और एक हिंदी ब्लागर विजेन्द्र जी। एक बात सिद्ध हुई कि भड़ास और हिन्दी ब्लागिंग एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द बन गये हैं। कई बार कुछ लोग भड़ास से सहमे से भी प्रतीत हुए। इसका कारण है कि भड़ास ने किसी का नाजायज दबाव कभी सहन नहीं किया और ब्लागिंग के क्षेत्र के कई मठाधीश आक्रांताओं को नाक रगड़वाई है। हममें कुछ ऐसा सत्व रहा है निश्छलता,निष्कपटता और सहृदय प्रेम का कि हमें बुरा कहे जाने(स्वयंभू सज्जन सिंह और शराफत अली टाइप के लोगों द्वारा) के बावजूद भी लोग हमसे जुड़ते जा रहे हैं और हमारा परिवार बढ़ता चला जा रहा है। टीवी स्क्रीन पर मेरी नजरें बार-बार देख रही थी कि अब तक जिन बातों को सम्पादकों द्वारा बाजार और माफ़िया आदि के दबाव में छपना नसीब नहीं हुआ था वह बिना किसी अवरोध के छप रहा है लोगों की प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं, हम लोग घोर गरीबी से जूझते लोगों की आवाज भी बन पाए साथ ही कई बार लोगों के लिये न्याय की अपेक्षा का मार्ग बने जैसा कि संगीता झा के प्रकरण में हुआ। हम दोनो भड़ासी माडरेटर्स पर हमारी गर्जनाओं के कारण जानलेवा हमले भी हुए लेकिन यह आप लोगों के प्रेम का कवच है जो कि हमारी हृष्टता-पुष्टता और विरोधियों के लिये दुष्टता अधिक प्रखर हो चली है। आप सबका साथ मिल जाने से तो अब भड़ास एक अत्यंत सशक्त समानान्तर मीडिया के रूप में दहाड़ कर अपनी उपस्थिति का एहसास पूरी दुनिया को करा रहा है। पूरे कार्यक्रम के दौरान मेरी लिखी दो पोस्ट्स और हरे भइया की सर्वश्रेष्ठ भड़ासी कविता ही शोभायमान हो रही थी कभी-कभी मसाला डालने के लिये अमिताभ बच्चन और सिनेमा-फुनेमा की बात कर ली जा रही थी। मेरे घर पर मुनव्वर आपा अपने अब्बा दि ग्रेट और बच्चों के साथ आ गयीं और हम सब बैठ कर इस कार्यक्रम को देख रहे थे, अब्बा बीच-बीच में कार्यक्रम की समीक्षा करते चल रहे थे, मुनव्वर आपा न जाने क्या-क्या विवेचना करती जा रही थीं और मैं खामोश था उन शिशु सपनों को बड़ा होते देखने की कल्पना करता कि एक दिन हमारा भड़ास एक ऐसा बहुआयामी मंच बन जाएगा जो कि शिक्षा से लेकर रोजगार तक के क्षेत्र में सार्थक कार्य कर पाएगा। मेरी आंखो में सपने हैं और आप लोगों की दी हुई ऊर्जा जो आप सबसे समेकित होकर एक दिन सपनों को जरूर साकार करेगी। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को लेकर चलते हुए हम इसी तरह बढ़े चलेंगे, कहते हुए...........
जय जय भड़ास
जितनी बार आप इस शब्द को दोहराएंगे आप महसूस करेंगे कि आप ऊर्जा से लबालब भर रहे हैं, साहस का संचार हो रहा है, आप अपने से ज्यादा ताकतवर प्रतिद्वन्दी से टकरा जाने का साहस कर पाते हैं, कभी-कभी लगता है कि शायद इस "जय जय भड़ास" में बीजमंत्रों का ऐसा गूढ़ शब्द-गुंफन है कि यह वन्दे मातरम की तरह एक क्रान्तिघोष बन गया है(ये मेरा निजी विचार है भद्रजन इसे वन्दे माररम का अपमान न मानें) इस लिये एक बार जोर से नाद करते हैं...
जय जय भड़ास

6 comments:

अबरार अहमद said...

रूपेश भाई सही कहा आपने। हम नित नए आयाम गढ रहे हैं। ब्लागिंग का दूसरा नाम भडास ही समझा जा रहा है। हर किसी की जुबान पर भडास का ही नाम है। इससे पहले की पोस्ट पर जैसे ही रजनीश भाई की पोस्ट से इस बात की जानकारी मिली तो मत पूछिए कितनी खुशी हुई। साथ ही इस बात का मलाल भी रह गया कि मैने इस कार्यक्रम को मिस कर दिया। यह हम सब भडासियों की ताकत ही है जो हम इस मुकाम तक पहुंचे हैं। भडास बोलना जानता है और बोल रहा है और आगे और भी बोलेगा। क्योंकि हम सब सच बोलते हैं वही बोलते हैं जो बोलना है क्योंकि वह भडास हम पचा नहीं सकते क्योंकि हमने इसे निकालना सीख लिया है। भडास ने सभी को एक मंच दिया है। लिखना सीखाया है। बोलना सीखाया है अपना हक छीनना सीखाया है। जरूरत है इस सम्मान को बरकरार रखने की। हम समाज का वह चेहरा दिखाते हैं जो लोग देखना नहीं चाहते, वह बातें सुनाते हैं जो बंद कमरों में तो लोग सुन सकते हैं मगर बाहर बरदाश्त नहीं कर सकते। हम अपनी मुहिम जारी रखेंगे। जो दिल में आएगा उगलेंगे। क्योंकि इसे उगले बिना नींद नहीं आएगी। हमे उन लोगों को नंगा करना है जो सफेद कपडा पहन कर शरीफ होने का दावा तो करते हैं लेकिन हैं नहीं। हमें बोलना है क्योंकि हमें समाज की गंदगी साफ करनी है। हमें लिखना है क्योंकि हमे तस्वीर बदलनी है। रूपेश भाई वह दिन दूर नहीं जब भडास अंतरराष्टीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना लेगा और इंसा अल्लाह बीबीसी लंदन पर अब इसकी चरचा सुनेंगें।
इनकलाब भडास
लडते रहो, बढते रहो
उगल डालो, जो भी मन मे हो

VARUN ROY said...

मैंने एन डी टी वी इंडिया पर वो कार्यक्रम देखा था रूपेश भाई परन्तु कुछ कारणों से रात में ही मैं पोस्ट नहीं कर पाया. एक बात शायद आपने नोट किया होगा कि सबसे भयभीत ख़ुद प्रस्तुतकर्ता महोदय लग रहे थे. वो बार बार इशारा कर रहे थे कि कोई खुल कर भड़ास के विरुद्ध कुछ बोले परन्तु सिवा विजेंद्र चौहान जो ख़ुद एक ब्लॉगर हैं किसी ने भड़ास के विरुद्ध बोलना उचित नही समझा.चौहान साहब ने भी इतना कहकर ही संतोष कर लिया कि ब्लोग्वाणी पर भड़ास को नहीं दिखाया जाता है. उन्हें या तो अलेक्सा की रेटिंग का पता नहीं था या जानबूझ कर बताना नहीं चाह रहे थे . भड़ास पर मीडिया से संबंधित हो रहे हमले से प्रस्तुतकर्ता खौफजदा मालूम पड़ रहे थे.स्क्रीन पर जेपीनारायण जी का 'छापो-छापो नंगी नारी' को बार बार दिखा कर खुछ कहने की कोशिश की जा रही थी क्योंकी ये उन्हें अपने ऊपर सीधा हमला लग रहा था. मुझे लगता है अब आएगा खेल का मजा. या तो भड़ास की मेहरबानी से मीडिया में कुछ आत्मावलोकन होगा या भड़ास के विरुद्ध हमला तेज होगा.
जय जय भड़ास
वरुण राय

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

वरुण भाई,क्या आप जानते हैं कि विजेन्द्र चौहान कौन हैं? ये साधारण मानव नहीं हैं हम और आप रोटी दाल चावल पर जीवित रहते हैं ये स्याही पर जीवित रहते हैं इस लिये "मसिजीवी" कहलाते हैं। ब्लागवाणी की मैने कैसी बैंड बजायी थी इन बेखबर सज्जन को नहीं पता है क्या? ये सब मुंहचोर किस्म के लोग हैं, आपको एक और रहस्य बता दूं कि ये चोखेरबालियों के कुनबे के "नर" हैं। ये लोग शुतुरमुर्ग की तरह से मिट्टी में मुंडी घुसा कर सोचते हैं कि मुसीबत टल गयी,इन्हें नहीं पता कि अगर मुसीबत भड़ास के रूप में है तो वो दिन ब दिन बढ़ने ही वाली है।

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा said...

रूपेश दादा,चोखेरबाली वो ही बाई लोग हैं जिन्होने यशवंत दादा को चुपचाप अपने ब्लाग से निकाल दिया था तो फिर अगर ये नर भी उन्ही मादाओं के कुनबे का है तो इसे कैसे पता होगा कि भड़ास क्या है(उल्लू कहीं का)उल्लू इस लिये कि इस पक्षी को सूरज नहीं दिखता और ब्लागवाणी तो उल्लुओं का कोटर ही है, मुझे याद है आपने लिखा था"ब्लागवाणी का सर्वनाश हो" जिससे इन चमगादड़ों और उल्लुओं ने खूब फड़फड़ाहट करी थी
जय जय भड़ास

मसिजीवी said...

अपने विषय में आपकी राय पता चली... भड़ास की खासियत यह है कि यहॉं राय सामने पता चलती है... बाकी चोखेरबालियों से सालों पहले से हम आपके बीच ब्‍लॉगिंग कर रहे हैं इसलिए पहचान का यह वर्णित प्रवाह हैरान करने वाला है।

पूरा वीडियो यूट्यूब की सीमा से बड़ा है इसलिए अपलोड नहीं हो पा रहा वरना आप फिर से देखकर अनुमान करते कि क्‍या कहा गया

बाकि इसे अकारण भड़ास के खिलाफ माना जा रहा है हमें तो शक है जैसा कि हमने कार्यक्रम के दौरान ही कहा भी कि ये तो एनडीटीवी द्वारा भड़ास का विज्ञापन सा किया जा रहा था।

एंकर लगातार कहलवाना चाह रहे थे कि लॉग में भड़ासपन खतरा है उसे रोकना चाहिए हमें ऐसा नहीं लगता...भड़ासों का अपना प्रकार्य होता है तथा इनसे कोई खतरे होते हैं तो उनका इंतजाम खुद प्राद्योगिकी व सामूहिक विवेक कर लेता है।

Anonymous said...

भाई जय जय भडास,
क्रान्तिघोष तो हो गया है, देखो लोग सच से कैसी तिलमिला रहे हैं, और अपना परिचय देने का कष्ट भी .
जय हो महाराज की
जय जय भडास की