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16.6.08

गांधीगीरी नही छोरेंगे

यू तो गांधी जी का जन्म गुजरात मे हुआ था पर गांधीगीरी को पूरे देश ने माना। समय के साथ साथ गांधीगीरी को लोग भूलते गए जिस गांधीगीरी की बदौलत हम आजाद हुए ,आज उसी गांधीगीरी को सब भूल बैठे । लेकिन हमारा जिला आज भी गांधीगीरी मे भरोसा रखता है । सच कहता हूँ किसी भी पारिस्थीती मे हम गांधीगीरी नही भूलते । कुछ दिन पहेले की ही बात लीजिए सरे शाम एक आदमी की हत्या हो जाती है , हम कुछ नही कहते हम कुछ नही करते बस एक एक्सीडेंट मान कर बैठ जाते है । हमे भरोसा है की हत्यारा का कभी तो दिल बदलेगा । हमारे यहा बिजली की काफी समस्या है ,२४ घंटे मे ८ घंटे भी बिजली मिल जाए तो काफी है पर हम कुछ नही करते । आप किसी भी ऑफिस मे चले जाए बिना नजराना दिए आपका कोई काम नही होगा ,या तो नजराना दे कर काम कराये या फ़िर किस्मत का लेखा मान कर चुपचाप बैठ जाए फ़िर भी हम कहा कुछ बोलते है हम जानते है की बाबू लोगो का कभी तो मन बदलेगा और वो बिना नजराना के हमारा काम करेंगे । ऐसा नही की सिर्फ़ हम ही गांधीगीरी को मानते है ,हमारे नेता भी इसी सिद्धांत को मानते है जब भी कोई भी बरी समस्या आती है तो ये लोग पूरे सचे मन से समाहर्नालय के गेट पर सुबह से शाम तक अनशन करते है फ़िर अपने अपने घर ,कल के अखबार मे इनकी तस्वीर निकलती है .ये भी खुश हम भी खुश ,समस्या को वक्त ख़ुद बा ख़ुद सुलझा लेगी । क्या बताऊ आपको ऐसे हर मुश्किल घरी मे भी हम गांधीगीरी नही भूलते । पुरा शहर बारिस के पानी मे डूब जाए तो जाए , किसान फसल बर्बादी से मरे तो मरे ,महंगाई से लोग परेशान हो तो हो .माहिलाओ की इज़त लुटे तो लुटे ,क्या हम अपने सिधान्तो को भूल जाए । कोई कुछ भी करे या कुछ भी कहे हम गांधीगीरी नही भूलेंगे । अगर कोई मेरे एक गाल पर तमाचा मारता है तो हम दूसरा गाल भी आगे कर देंगे पर गांधीगीरी नही छोरेंगे ।

1 comment:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

संजीत भाईसाहब जिस तरह से हर बुखार में कुनैन नहीं दी जाती वैसे ही हर सामाजिक बीमारी का इलाज गांधीगिरी से नहीं होता वरना आज़ाद,बिस्मिल और भगत सिंह तो गुलामी के इलाज में डाक्टर कहलाते ही नहीं बस गांधी ही श्रेय ले जाते.......