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3.6.08

प्रेमी या मजनू.........पुलिस या गुंडा.

मेरठ काण्ड लोग अभी भूले नहीं हैं जब पुलिस ने प्रेमियौं पर जम कर अत्याचार किए थे । सभी की पिटाई हुई थी और स्वयं सेवी संगठनों को एक मुद्दा मिला था। आज वापस पुलिसिया अत्याचार की कहानी इटावा में दुहराई गयी। एक पार्क में प्रेमी युगलों पर पुलिस ने छापा मार कर तमाम जोडों पर कहर बरपा दिया। समाचार चैनल को ख़बर मिली, अखबारों के लिए भी ख़बर, आपराधिक पुलिस को हाथ साफ करने का मौका और संगठनों के लिए वापस से चिल्लपों करने को मुद्दा।
ग़लत सही की परिभाषा से परे पुलिस ने अपना नाजी रवैया फ़िर से बरकरार रखा। आनन फाना में पार्क पर छापा डाल कर युगलों की ना सिर्फ़ जम कर पिटाई की अपितु सब को हाजत में बंद। अब घर वाले छुराते रहें अपने बच्चों को।
प्रश्न है की रक्षा करने वाले ही अगर क़ानून की धज्जियाँ उडाएं अपनी व्यक्तिगत मनः स्थिति का निशाना निर्दोष को बनाएं और सारे गुंडों का सरदार बनकर गुंडागर्दी करें तो आम जन कहाँ जाए किसके पास जाए।

चलिए आने वाले दिनों में कुछ भी हो मगर फिलहाल तो इन पुलिसिए ने अपनी रंगदारी दिखा ही दी और अपने हाथ पाँव साफ कर ही लिए , वापस कुछ लोगों के लिए ख़बर संगठनों के लिए मुद्दा और फ़िर से जिन्दगी अपने रफ़्तार से। शायद आम-जन की यही कहानी है।
जय जय भडास
रजनीश के झा

1 comment:

श्री. स्वर्गवासी................ said...

UP पुलिस आदत से मजबूर पुलिस है..!
UP पुलिस को प्रेमी जोडे आतंकवादियों नजर आते हैं..!
मेरठ, बरेली, ईटावा, लखनऊ ,
सब जगह एक ही हाल है.....
अपना गुस्सा बेचारे प्रेमियों पर निकालती है...
जो प्यार के कुछ पल गुजारने के लिये एकांत तलाशते हैं.....

UP पुलिस ना तो बोंम्ब ब्लास्ट रोक पा रही है, ना अपराधीयों को पकड रही है, ना बाहुबलीयों पर हाथ डालती है, पैंसे वालों के पांव चाटती है,

UP पुलिस तो चुतिया पुलिस है.....!