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16.6.08

सिर्फ मेरे लिए हो तुम ....

तुम मेरे लिए, अहसास का दूसरा नाम हो
तुम मेरे लिए, पेड़ की शीतल छाँव हो
तुम मेरे लिए, आत्मा की पुकार हो
तुम मेरे लिए, एक खुली किताब हो
तुम मेरे लिए, एक नई जोश हो
तुम मेरे लिए, शान्ति का एक भाव हो
तुम मेरे लिए, ख़ुद को समझने की कोशिश हो
तुम मेरे लिए, एक अनकही कशिश हो
तुम मेरे लिए, एक शान्ति समुन्दर हो
तुम मेरे लिए, सबसे सुंदर हो
तुम मेरे लिए, जीवन की स्फूर्ति हो
तुम मेरे लिए, सादगी की एक मूर्ति हो
तुम मेरे लिए, एक मंजिल समान हो
तुम मेरे लिए, एक मन्दिर समान हो
तुम मेरे लिए, सपना साकार हो
तुम मेरे लिए, पायल की मधुर झंकार हो
तुम मेरे लिए, जीने की आश हो
तुम मेरे लिए, एक विश्वाश हो
तुम मेरे लिए, एक नई सुबह हो
तुम मेरे लिए, जीवन का आगाज हो
तुम मेरे लिए, प्रस्फुटित आवेग हो
तुम मेरे लिए, हवा का चंचल वेग हो
ये जाने वफ़ा, सिर्फ मेरे लिए हो तुम ....

महाबीर सेठ, जालंधर

3 comments:

Anonymous said...

सेठ जी,

जो भी हैं बिलकुल आपके लिये हि है मगर इस से आगे कुछ तो खुलासा किजिये ;-)

ओमप्रकाश तिवारी said...

.......तो खुलासा किजिये .......

वीनस केसरी said...

पठ़ कर अच्छा लगा

बहुत बेहतरीन बात कही ।