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27.6.08

एक कहानी ऐसी भी जो जारी है

मैं ऑरकुट का मेंबर बना तो कई ऐसे दोस्त मुझे मिल गए जिन्हें मैं भूल चुका था। अचानक इसी कडी में एक तकनीकी शिखा ग्रहण कर रहे एक बन्दे का मुझे स्क्रैप मिला उसने मुझे बताया की वोह भी बस्ती का रहने वाला है । आजकल नॉएडा के एक ingeeneering कॉलेज से पढाई कर रहा है। मैंने उसे अपना दोस्त मान लिया एक दिन उसने मेरा नम्बर माँगा तो मैंने उसे दे दिया और उसने मुझे कॉल किया तो पता चला की वो मेरे गांव के पड़ोस का रहने वाला है। मुझे उससे बात करके अच्छा लगा क्यूंकि वो एक बहुत ही अच्छा लड़का था। दिन रात मेहनत करके वो पढाई करता था उसके पिता जी उसकी हर एजूकेशन को दिलवाने के लिए कृतसंकल्प थे। मैंने एक बार जब गांव गया तो पुछा अंकल आप अपने बच्चों को इतना पढा कैसे रहे ही जब आपके पास इतना पैसा नही है तो उन्होंने जवाब दिया की बेटा अगर वो गानों में रहते तो खेती बड़ी करते जब मैंने देखा की वो पढ़ना चाहता है तो उसे मैंने शहर भेज दिया की जावो कुछ बनकर दिखावो। उसके लिए मैंने अपने कुछ खेत बेंच दिए। अब मुझे अच्छा लग रहा है की वो अच्छा कर रहा है।
पर जो ऊपर वाला बैठा है उसकी परीक्षा इतनी कठिन है की शायद ही उसे कोई पास कर पाए। २००४ में करुनाकर नाम के उस होनहार बच्चे ने तुमेर के चलते अपना दाहिना पैर गंवा दिया। फिर भी उसने हिम्मत नही हरी। इतना कुछ होने के बवोजूद उसने अपने मुकाम को पाने के लिए मेहनत जारी रक्खी और नॉएडा के एक अच्छे से तकनीकी कॉलेज में उसे प्रवेश भी मिल गया। अच्छे मार्क्स से उसने अपने सारे सेमेस्टर क्लीअर किए बाद में जब उसका अन्तिम साल रहा गया तो इस होनहार बहादुर छात्र को सीने में दर्द उठा और खांसी आयी। जब उसने इसे डॉक्टर को दिखाया तो पता चला की उसके फेफडे में कैंसर हो गया है। उसका इलाज़ ठीक तरीके से नही हो सका क्युकी उसके पिता जी को गांव के कुछ लोगों ने जमीन के एक मामले में जेल भिजवा दिया। और इसमें सबसे बड़ी दिलचस्प बात ये है की छोटे से ज़मीन के मामले में पैसे वाली पार्टी ने पुलिस को घूस देकर उन्हें अन्दर करवाया है। जिसमे कोर्ट उन्हें जमानत देने में झिझक रही है जैसे वो बड़े क्रिमिनल हों कोई। करुनाकर ने एक दिन मुझे फ़ोन किया और उस समय जब वो बिल्कुल टूट चुका था। कोई उसके पास नही था। दिल्ली के करोल्बाघ के यूनानी मेडिकल कॉलेज में वो भरती हो चुका था। मैं उससे मिलने गया तो वो ऐसे टूट गया था जैसे उसके लिए दुनिया में कुछ रहा ही नही। पूरी दुनिया को देखने का सपना देखने वाला बहादुर लड़का बीमारी से हार गया था। यह ऐसा हॉस्पिटल था जहाँ उसका कोई इलाज़ नही था। घर का उसके साथ कोई नही था। क्यूंकि हर कोई उसके पापा की ज़मानत के लिए चक्कर लगा रहा है। जेब में उतने पैसे नही थे जिससे किसी अच्छे हॉस्पिटल में दवा कराई जा सके। मैंने उसकी हालत देखी तो रो पडा। भइया कहकर मुझे जब भी वो पुकारता मुझे अपने पर शर्म आती क्यूंकि मेरे हाथ में उसके करने के लिए कुछ नही था। मैंने एम्स में उसके लिए बात करनी शुरू की। तीन दिन बाद किसी तरह से सर्जरी डिपार्टमेन्ट में डॉक्टर अरविन्द को उसे दिखने में सफल रहा। पर डॉक्टर अरविन्द ने उसकी एक्सरे रिपोर्ट देखकर जो जवाब दिया उसने मुझे हिला दिया। उन्होंने कहा की इन्फेक्शन फेफडे में दोनों तरफ़ फ़ैल गया है। आप इसका सिटी स्कैन करवाकर शनिवार मोर्निंग में यानी की २८ जून को मिलिए फिर हम आपको बताएँगे की हम इसे सही कर पाएंगे या नही। अभी कल सुबह आने में १२ घंटे हैं पर मैं बहुत दुखी हूँ की एक बाप ने अपने बेटे पर वो सारी पूंजी लगा दी जिससे उसने उम्मीद की थी की एकदिन वो कुछ बन जायेगा पर बेटा लायक होते हुए भी अपने बीमारी से हरता जा रहा है। उसे अपने पापा के जेल से बाहर आने का इंतज़ार है। उसे अब कुछ नही सिर्फा अपने पापा चाहिए। पर इस घूसखोर प्रथा में मुझे नही लगता की एक बाप ज़िंदगी मौत से जूझ रहे अपने बेटे तक पहुँच पायेगा। मुझे पता है इस भडास से बहुत से पत्रकार जुड़े हैं अगर किसी की पहुच हो तो चाहूंगा की एक बेटे की आख़िर खवाहिश पूरी करने में कुछ कर सकें तो करके दिखाएँ। यह कहानी नही असलियत है और मैं तब तक लिखता रहूँगा जब तक एक इक्कीस साल के नौजवान को ठीक ना करवा लूँ। उससे मेरा कोई रिश्ता नही है पर हाँ आज की डेट में मेरे लिए वो सबसे बढ़कर है जिसके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ। ......... ये कहानी जारी रहेगी यूँ ही।

7 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

अमित भाई,आपकी भावनाओं को प्रणाम करता हूं अब जब आपने भड़ास पर इस बात को शुरू करा है तो भड़ास की ताकत भी देख लीजियेगा कि भड़ासी कैसे दूसरों की मुसीबत में भी दुखी होकर उसे अपना बना के मिलबांट कर हलका कर लेते हैं,आशा है कि आपके आसपास के भड़ासी इस बात पर ध्यान देंगे। मेरी निजी तौर पर सभी भाई-बहनों से विनती है कि इस बात पर दिल से ध्यान दीजिये और इनकी मदद करें...
जय जय भड़ास

ओमप्रकाश तिवारी said...

इनकी मदद करें...

Unknown said...

madad karenge ham
jai bhadas

Unknown said...

madad karenge ham
jai bhadas

विशाल अक्खड़ said...

Amit Bhai batayen karana kya hai?????????? hum aapke saath hain

विशाल अक्खड़ said...

Amit Bhai batayen karana kya hai?????????? hum aapke saath hain

विशाल अक्खड़ said...

Amit Bhai batayen karana kya hai?????????? hum aapke saath hain