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11.6.08

नीरवजी को समर्पित

भीतर से हूं पिलपिला ऊपर से दानेदार
परिचय है मेरा शशिभुद्दीन थानेदार
पढ़कर गजलें आपकी करता हूं बारंबार
लिख पाउंगा मैं भी कभी यूं गजलें लच्छेदार?
होनेवाला शीघ्र हूं मैं भी बच्चेदार
वरना शैली अपनी थी बड़ी ही गच्चेदार
प्रभु नमस्कार..नमस्कार तुमको हजार बार। आपका मुल्जिम
शशिभुद्दीन थानेदार

1 comment:

Anonymous said...

veeru logon,

saavdhann, pahle ek hi neerav the ab inki tadaad badh rahi hai, so jara bach ke ;-)

jai jai bhadas