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3.7.08

ताऊ की पाती

प.जगदीश जी त्रिपाठी जी प्रणाम ! आपने जो सूर्य भगवान से प्राथना की है वो स्वीकार हो गई सै ! डा. साहब भी पहुँच गए और करुनाकर का इलाज भी शुरू हो गया सै ! और भई पंडीत जी , आज म्हारी यशवंत भाई और डाक्टर साहब सै भी द्विवेदीजी नै बात कराई ! ताऊ नै बड़ा मजा आया, उन दोन्यू भडासीया तैं बात करके ! भई डाक्टर साहब तो ताऊ के एग्झास्ट फेन हो राखे सें ! भई उन्होंने करुनाकर का जनम दिन बड़ी जोरदार तरीके तैं मनाया सें ! और आप अफ़सोस क्यूँ करते हो ? आप तो चराचर में व्याप्त हैं आपके आराध्य देव भगवान सूर्य, आपकी बात थोड़े ही टाल सके सें ! उनको रोज सबेरे उगना सै की नही ? यार पंडीत जी महाराज ताऊ नै तो थारी चिंता हो राखी सै ! इतने दिन हो लिए थारी किम्मै ख़बर कोनी ! आपकी तबियत तो ठीक सै ? या फ़िर ताऊ की सलाह मानके अपनी लक्ष्मी जी के गधे तो नही बन लिए कदी ? और कितै बोझा बाझा गेरना शुरू कर दिया होवे ! अगर उंच नीच हो ही गई होवे तो बता देना , शरमाना मत ! अडे तो सारे ही भडासी भाई सें ! आपका इलाज भी डाक्टर रुपेश जी धोरे करवा देंगे ! पंडितजी थम बिल्कुल भी मत घबराइयो ! थाने घर आली के गधे से वापस भडासी भाइयां नै सोंपने की जिम्मेदारी ताऊ की ! पर सब सही सही बता देना ! और चिंता मत करना ! अडे करुना कर भी राजी सै और सारे भडासी भी राजी सै !भई कुछ उंची नीची छोडो ज़रा ! अच्छा तो इब ताऊ की राम राम !

1 comment:

Power of Words said...

Maine aapka blog dekha.. bahut kuch hai iamein padhne layak!! very nice. thanks for posting a comment on my blog:)