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10.7.08

वतन के लिए शहीद होने वाले स्वतंत्राता सेनानी हैं आंतकवादी

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालीय शिक्षा संस्थान के पाठयक्रम का शर्मनाक अध्याय

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान की नजर में वतन के लिए शहीद होने वाले अमरशहीद भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, राजगुरू व सुखदेव जैसे महान स्वतंत्राता सेनानी क्रांतिकारी नहीं बल्कि आतंकवादी थे। संस्थान की 12 वीं कक्षा की इतिहास की पुस्तक में देश के महान स्वतंत्राता सेनानियों का परिचय आतंकवादियों के रूप में दिया गया है। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान की 12 कक्षा के पाठयक्रम में शामिल इतिहास की पुस्तक में शहीदों व स्वतंत्राता सेनानियों को आतंकवादी कहा गया है। इस पुस्तक के पृष्ठ संख्या 170 व 171 में अनेक स्थानों पर स्वतंत्राता सेनानियों के लिए आतंकवादी शब्द का प्रयोग किया गया है। पुस्तक में एक स्थान पर लिखा गया है कि ‘अक्तूबर 1928 ई. में साइमन कमीशन का विरोध करते हुए शेरे पंजाब लाला लाजपत राय पर लाठी का घातक प्रहार किया गया। आतंकवादी क्रोधित हो उठे----इस प्रकार दिसंबर 1928 में भगत सिंह आजाद और राजगुरु ने लाठी प्रहार का आदेश देने वाले सांडर्स की हत्या कर डाली। इससे आगे लिखा है ‘ आतंकवादियों का उद्देश्य जनसाधारण द्वारा क्रांति लाना था, अप्रेल् 1929 में भगत सिंह और वी.के.दत्त ने केन्द्रीय लेजिस्टलेटिव असेम्बली में एक बम फैंका----आतंकवादियों का कहना था कि उनका उद्देश्य किसी की हत्या करना नहीं था वरन बहरां को सुनाना था’। इससे आगे एक स्थान पर लिखा है -‘ जेल के दौरान आतंकवादियोंने जेल के अमानुषिक वातावरण का विरोध करने के लिए भूख हड़ताल रखी।’ पुस्तक के दो पृष्ठों पर कुल 9 स्थानों पर स्वतंत्राता सेनानियों के लिए आतंकवादियों या आतंकवादी शब्द का प्रयोग किया गया है।

3 comments:

Anonymous said...

संजय भाई,
ये तो होना ही था. देश के इंडिया गेट को भारत की शान बताने वालों ने कभी ये ना सोचा की इन में हमारे अमर जवान हैं या अंग्रेज के लिए लड़ने वाले पिट्ठू और बना दिया राष्ट्रीय प्रतीक,
हमारे देश के कर्णधारों ने ही हमारे साथ हमेशा से धोखा किया है, गलत सन्देश और अपने आपको देशभक्त घोषित किया है.
रही आतंकवाद की बात तो लेखक से बड़ा आतंकवाद और कोन हो सकता है जो सरकार के आदेश से इतिहास लिखता है, और हरेक पांच साल में हमारा इतिहास बदलता है.
भडासी से निवेदन की राष्ट्रीयता के मुद्दे पर खुल कर विचार रखें क्यूंकि ये ही हमारी अस्मिता है.
जय जय भड़ास

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

रजनीश भाई आपकी बात से शत-प्रतिशत सहमत हूं लेकिन आपने इस बात को जरा दहाड़ कर कहना चाहिये था। ऐसी बा्तों पर नरमी बरत कर ही तो आज देश का ये हाल हो गया है

Ankit Mathur said...

सर्वथा निन्दनीय...