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6.7.08

एक गधे की दुःख भरी दास्ताँ

आप लोग न्युं मत समझना कि मैं आपको ऐसे ही कोइ कहानी
सुना रह्या सूं ! भाई थम इब कोई बालक थोडे हि हो !
या कहानी सै बिल्कूल सांचीं, तो भाइ सुनो !
एक था गधा ! और भाइ वो था एक धोबी का गधा ! इब आप पूछोगे कि
भाइ यो कुणसे जमाने की बात सै ? आज कल ना तो धोबी रहे और ना
उनके पास गधे ! इब जो धोबी थे उन्होने लान्ड्री खोल ली और गधे
की जगह स्कूटर ले लिये !
बिल्कूल भाई थारी बात भी कती सांची सै ! पर यार ये तो सोचो की सारे कूओं
में ही भांग थोडे पडगी सै ? अरे भाई थोडे बहुत परम्परावादी धोबी भी
सैं और उतने ही परम्परा वादी उनके गधे भी सैं ! और भाइ यकिन
ना हो तो आजाना ताउ के पास ! आपको मिलवा देंगे , इस ग्यानी धोबी और
उसके गधे चन्दू से !
यो दोन्युं बडे मजे मे थे ! रोज सुबह धोबी अपने गधे पर कपडे लाद के
और छोरियां के कालेज कै सामने से होता हुया कपडे धोनै जलेबी घाट जाया करता
और वो जब तक अपने कपडे धोता तब तक चन्दू गधा नदी किनारे की
हरी हरी घास खाया करता ! और फ़िर समय बचता तो ठन्ढी छांव मे लोट
पोट हो लिया करता ! इतना सुथरा और गबरू गधा था की , आप पूछो ही मत !
कभी इसका मूड आजाया करता था तो नेकी राम की रागनी भी बडे
उंचे सुर मे गा लिया करै था ! और भाइ बडा सुथरा गाया करै था !
पर भाइ पता नही यो गधा कुण सी जात का था कि इतना सुन्दर और
जवान होने के बावजूद भी इसने कभी किसी पराई गधी पर बुरी नजर नही डाली !
और ना ही कभी किसी गधी पर लाइन मारनै की सोची !
वहां पर दुसरे धोबियों और कुम्हारों की सुन्दर सुन्दर और जवान गधियां
भी आया करै थी पर चन्दू ने कभी उनकी तरफ़ नजर उठा कर भी नही देखा !
हालांकि ये और बात है कि चन्दू को रिझाने के लिये उन गधियों ने
बहुत सारी कोशिशें की जो सब बेकार गई ! यहां तक कि उन पुरातन पन्थी
गधियों ने टाइट जीन्स और लांडी कुर्ती भी पहनना शुरू कर दिया
पर वो चन्दू का दिल नही जीत सकी !
और साहब आप ये समझ ल्यो कि चन्दू गधा लन्च करता हुवा
यानि घास चरता हुवा इन गधियों के बीच मे चला जाता तो भी उन
सुन्दर और जवान गधियों के मालिकों को कोई ऐतराज नही होता , बल्कि
कोइ कोइ तो अपनी गधी का जिम्मा भी चन्दू गधे को दे देता कि कहीं कोइ
दुसरा गधा उनकी जवान गधी को बहला फ़ुसला कर भगा ना ले जावै !
इतना शरीफ़ और लायक था चन्दू !
इधर कुछ दिनों तैं ग्यानी धोबी नै देख्या कि आज कल कालेज कै
पास आकै गधा थोडा धीरे हो जाता था ! और कालेज कै सामनै आली
दुकान पै आके तो एकदम रुक ही जाया करै था ! असल मै चंदू गधे को एक
सुन्दर, जवान और चटक मटक सी कालेज की छोरी धोरै प्यार हो गया था !
इब गधा तो था ही सो चढ गया इस नव योवना कै चालै ! और आज कल बडा
रोमान्टिक मूड मै रह्या करता और घर से गठरी लादनै के पहले बाल बनाके,
दाढी कटिंग सब तरिके से करकै निकल्या करै था !
इब इन दोनुआं का इश्क परवान चढनै लग गया !
कभी छोरी इसके तरफ़ देखकै मुसकरा देवे,
कभी बाल झटक कै अपनी अदा दिखावै
और कभी मुस्करा के गर्दन को बडी अदा से घुमा ले !
और गधा भी कभी आंख का कोना दबा कर और कभी
कोइ प्रेमगीत गुन गुना कर जबाव देता था ! और साहब "हम तो तेरे आशिक हैं
सदियों पुराने"
इसी गाने को चन्दू गधा गुन गुनाया करै था !
आप न्युं समझ ल्यो की इब से पहले भी इस हसींन जवान कन्या ने कई
गधों को अपने इश्क के जाल मैं उलझाया था और इबकै बारी आगी सै
इस चिकनै और कर्म जले चन्दू गधे की जो इतनी सुन्दर और सुशील
गधियों को छोडकर इस सर्राटा आफ़त के लपेटे मे आ लिया !
इब बात यहां तक आ गई कि दोन्युं डेटिंग भी करनै लग गये ! धोबी जब तक
कपडे धोता तब तक चन्दू गधा फ़ुर्र हो लेता और वो जवान छोरी भी तडी
मारके कालेज से गायब ! कभी माल मै जाकै सिनेमा तो कभी काफ़ी शाप
पर ! और साहब ये समझ लो कि चन्दू तो २४ घन्टे इसी परी
के ख्वाबों और ख्यालों में डूबा रहने लग गया ! उस इश्क के
अन्धे को ये भी नही दिखाई दिया कि उन दोनु को
खुले आम लप्पे झप्पे करते देख कै दुसरे गधे भी
उस कन्या पर डोरे डालनै लग गये हैं !
कुछ समय बाद चन्दू को लगा की वो कन्या उससे कुछ
ढंग से बात नही करती थी ! और उससे कूछ उखडी उखडी सी
रहण लाग री थी ! इब चन्दू ठहरा सीधा बांका नौजवान और उपर
से गधा , सो वो क्या जाने इन अजाबों के चाल्हे !
और इस सीधे सादे गधे को क्या मालूम था कि वो बला तो अपना
टाइम पास कर रही थी ! वर्ना तो उसके सामने क्या चन्दू और क्या
चन्दू की ओकात ! अपनी जात से बाहर जाकै प्यार करने के यो ही
अन्जाम हुया करै सैं ! गधा होकै आदम जाद तैं प्यार करनै
चला था !...... गधा कहीं का....... ! हमनै तो सुण राख्या था कि गधे ही
दुल्लत्ती मारया करै सैं पर भाई इस बला नै तो चन्दू गधे को
वो दुल्लत्ती मारी कि यो चन्दू ओंधे मूंह कुलांट खा गया !
वाह रे चन्दू गधे की किस्मत !
असल में हुया यो की इब उस छोरी का दिल चन्दू से ऊब
गया था और वो एक सेठ के गधे से फ़ंस गई थी !
ये सेठ का गधा भी क्या गधा ? बल्कि गधे के नाम पर कलंक !
पर चुंकि सेठ का गधा था तो था ! आप और हम इसमे क्या कर लेंगे ?
इसिलिये तो कहते हैं "जिसका सेठ मेहरवान उसका गधा पहलवान" !
बिल्कुळ मोटा काला भुसन्ड और दो जवान बच्चों का बाप !
पर आया जाया करै था मर्सडीज कार मे और घने
दिनों तैं डोरे फ़ेंक राखे थे इस छोरी पै ! इब कहां ग्यानी धोबी
का गधा चन्दू और कहां सेठ किरोडीमल का गधा ? चन्दू पैदल छाप और ये
मर्सडिज बेन्ज मै चलने वाला गधा ! सो छोरी को तो फ़सना ही था ! फ़ंस ली !
क्यों की फ़ंसना और फ़साना ही तो उसके प्रिय शगल थे !
और इसकै नखरै उठानै मैं इस मोटे गधे ने कोइ कमी भी नही
छोड राखी थी ! चन्दू की तो इस सेठ के गधे के सामने ओकात हि क्या ?
इब चन्दु सडक के बीचों बीच गाता जावै था
" वो तेरे प्यार का गम इक बहाना था सनम"
ताऊ उधर तैं निकल रह्या था ! गधे नै यो गाना गाते सुन के बोल्या --
अबे सुसरी के ! बेवकूफ़ गधे के बच्चे ! इब क्युं देवदास बण रह्या सै ?
तेरे को पहले सोचना चाहिये था कि इन बलाओं से तेरे जैसे साधारण गधे
को इश्क नही करना चाहिये ! इनसे तो कोई बडे सेठ का गधा ही इश्क
कर सकै सै ! फ़िर वो भले ही दो जवान बच्चों का बाप हो ! या काला मोटा
और उम्रदराज हो ? आखिर धन माया ही तो सब कुछ है इस जमाने में !
अरे उल्लू के पठ्ठे... ये कोइ लैला मजनूं वाला जमाना नही सै ! अबे गधेराम
ये इक्कसवीं सदी है ! इसमे तो धन माया के पीछे भाइ भाइ , बाप बेटे
यहां तक की मियां बीबी भी एक दुसरे की कब्र खोद देवैं सै !
तु भले कितना ही सुथरा और शरीफ़ गधा हो !
है तो तू आखिर धोबी का ही गधा !
और ये सुन कर चन्दू , चुपचाप, हारे जुआरी जैसा कपडे की गठरी
लादे जलेबी घाट की और बढ लिया !

3 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

ताऊ जी,सावधान रहिये गधों के बारे में कुछ भी अगर गलत लिखा तो उसे भड़ास पर सहन न करा जाएगा। सभी भड़ासी गधों और उल्लुओं से बेहद प्रेम करते हैं तो आप भी करें ये निवेदन है और उनमें मानवीय बातें हरगिज मत थोपिये......

ताऊ रामपुरिया said...

Shrivastava) said...
भाई डाक्टर साब ! इसीलिए तो आप हमसे प्रेम करते हो ! आज कल मानव में मानवीय बातें कहाँ बची है ? ये आप और हम जैसे थोड़े बहुत chandu गधे बाक़ी बचे हैं वरना मानव की भावनाएं तो कभी की मर चुकी हैं ! और भाई ताऊ को तो गधों से बहुत प्रेम है और यही हमारी
जात है ! इंसानों से श्रेष्ठ गधे थे, हैं और रहेंगे ?
मेरे ब्लॉग पे जाके देखी - चंदू को कितना जन समर्थन प्राप्त हवा है ! और इब तो इसका दूसरा भाग भी छापूंगा !
भडासी गधो की जय हो ! जय हो !! जय हो !!!

Anonymous said...

chaliye aap ka bahoot bahoot sukriya. samudaayik gadhaa bana dene ke liye ;-) :-P

jay jay bhadas