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12.7.08

मत सिरिसियाव भाई

अरे ई डाक्टर रूपेसवा का का हुइ गवा है.ई तो बात-बात मा सी(रिसिया)जाता है.भैयू,जब हम पहले ही कहि दिहिन की हम किरानिक बत्तमीज हैं.तो हमरी बात का काहे क बुरा मानत हो.अरे इ सब कौनउ सास्तर में नाहीं लिखा है.इ तो हमारी खोपड़िया की उपज है.हम व पीसी रामपुरिया जैसे परमामेंट भड़ासी इ कसम खा के दुनिया में आए हैं कि सबको बुरा-बुरा बताएंगे.भला तो सबै बताइ सकत है.बुरा तो हमहीं बताइ सकत हैं न.अब एक बात हम अउर बताइ देई.दिल्ली आए हमका अबहीं सिरफ सात महीना हुआ.ईके पहले हम पांच साल हरियाना (पानीपत)में रहिन.हरियाना जानत हो ना.जित दूध दही का खाना,देसा मं देस हरियाना.तो हुआं हम एक होटल मां गए.होटल मां हरियाणवी ताऊ व ताई आय रहें.अपने वियाहे कै सालगिरह मनावे.दूनौ जने रात मां सुहागरात मनाएं,खाएं पिएं.जाए लागें तो होटल वाला बिल दिहिस.बिल देख के ताऊ कहेन मन्नै तो दाल मखनी कोनी खाई.होटल वाला बोला आपने नहीं खाई तो क्या तैयार तो थी.अइसने ढेर आइटम कै पैसा होटल वाला बिल मां लिखे रहा.ताऊ बेचारे हयरान रहें.का करैं.एतने में ताई बोल पड़िन.थारा बिल चार हजार का.म्हारा पांच हजार का.एक हजार दे इब हम चाले.अब होटल वाला भौचकिया गया.बोला आपका कैसा बिल? तौ ताई कहीं,तन्नै म्हारे को छेड़ा इसका.होटल वाला बोला,मैनैं कब छेड़ा.ताई बोली,तन्नै छेड़ा या नहीं मन्ने तो तैयार थी.

1 comment:

ताऊ रामपुरिया said...

एइसन sixer लगावो पन्डित किरानिक बत्तमीज जी ! मजा आ गया ! आपकी खुपड़िया ठीक हो गई ! यो जानके बड़ी खुसी हुई ! मतबल ये की इब म्हारी कुटाई ना होगी ! बचा लिया थमने !
जुग जुग जीवो ! दूधों न्हावो , पूतों फलों ! जय हो भडास सम्राट की !