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23.7.08

दुनिया

मै एक दुनिया में जीता हूँ
जो मेरे लिए है
वहां सब कुछ है, उदासी है नींद है , तन्हाई है
कुछ भूखे लोग है कुछ नंगी आँखें है
उन आंखों में दुनिया है , दुनिया में भूख है
भूख में गरीबी है और गरीबी ही इज्ज़त है
फिर भी मै जीता हूँ
क्योंकि ये दुनिया मेरे लिए है सिर्फ़ मेरे लिए

3 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

और मेरी भी.........
जिसे जिसे दुनिया अपनी सिद्ध करना हो वो इस बात पर अपना कमेंट जरूर करे वरना मान लिया जाएगा कि दुनिया उसकी नही है वो जबरन दुनिया पर बोझ बना बैठा है :)

Anonymous said...

अरे अरे हमारी भी है भैये, हम पिछू नही रेने वाले भिडु लोगों

आलोक सिन्हा said...

रुपेश भाई और रजनीश भाई

बच्चे का हौसला बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
प्रेरित करते रहे