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18.7.08

ghazal

कुछ नई बात हो गयी होगी
गोया बरसात हो गयी होगी।
वो पलटकर यहाँ नही आई
कोई मुलाक़ात हो गयी होगी।
वो खुशबू है लिपटके बाहों में
हवा के साथ हो गयी होगी।
उसने फैलाए होंगे गेसू अपने
फ़िर दिन में रात हो गयी होगी।
सूना है मकबूल आए हैं महफिल मैं
दोस्तों की जमात हो गयी होगी।
Maqbool

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