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11.8.08

गीतकार विषणु खन्ना नहीं रहे

मेरठ। जाने-माने गीतकार और लेखक विष्णु खन्ना का आज सुबह मीनाक्षीपुरम स्थित निवास पर निधन हो गया। अस्सी साल के खन्ना जी आकाशवाणी से सेवानिवृत्त हो जाने के बाद से स्वतंत्र लेखन कर रहे थे। पुरातत्व और यायावरी पर उनके आलेख और पुस्तकें काफी लोकप्रिय और सारगर्भित रहीं। उनका एक गीत पढ़िए...
आवाज कहां से कहां गई
जीवन भर भटकी वहां गई

अभिशापों के घर खुले मिले
आगे बढ़-बढ़ गले मिले
ठोकर खाने को व्याकुल थी
सोचा न कभी क्यों कहां गई

स्वर के पीछे स्वर लगे रहे
चेतन सोया भ्रम जगे रहे
नादान भिखारिन आस लिए
जाने किस-किस के यहां गई

अनुभव ने बांची यही कथा
संबंधों की विच्छेद प्रथा
धरती, सागर, नभ, अगन, पवन
कोई बतला दे कहां गई

3 comments:

यशवंत सिंह yashwant singh said...

विष्णु जी को हम भड़ासियों की तरफ से श्रद्धांजलि

यशवंत सिंह yashwant singh said...

विष्णु जी को हम भड़ासियों की तरफ से श्रद्धांजलि

Anonymous said...

शोक शोक और शोक, मगर हँसते हुए भडासी,
जीवन के पथ पर जीवन के साथ भडासी.
करुनाकर या फ़िर विष्णु, अगला ढूंढता भडासी.
जीवन पथ पर हँसता हुआ भडासी.

इश्वर विष्णु जी की आत्मा को शान्ति दे.