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28.8.08

एनबीएसए का स्वागत..... भ्रष्ट पत्रकारों की शामत...

नीचे लिखी ख़बर भड़ास४मीडिया से उठायी है उसके लिए यशवंत जी से क्षमा .....
मेरा सवाल ये है कि क्या अब भ्रष्ट तथाकतिथ पत्रकारों की शामत आने वाली है.... क्या हम उम्मीद करें की एनबीएसए छोटे शहरों में स्ट्रिंगर के रूप में फैली अपनी उन जड़ो और स्तंभों की गुणवत्ता का भी ख्याल करेंगे जिनकी भेजी हुयी फर्जी खबरों पर वो दिल्ली में बैठ कर झंडे गाड़ते है...

चैनलों ने स्व-अनुशासन के लिए बनाया एनबीएसए
मीडिया खबर
Written by Administrator
Thursday, 28 August 2008 03:58
सरकार और जनता की ओर से चौतरफा पड़ते और बढ़ते दबाव को देखते हुए देश के प्राइवेट न्यूज और करेंट अफेयर्स प्रसारणकर्ताओं ने खुद को दुरुस्त व आत्म संयमित करने के लिए न्यूज ब्राडकास्टिंग स्टैंडर्डस अथारिटी का गठन किया है। न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) जिसमें देश के ज्यादातर न्यूज चैनल शामिल हैं, की तरफ से यह पहल की गई है। एनबीए की घोषणा के मुताबिक न्यूज ब्राडकास्टिंग स्टैंडर्डस अथारिटी (एनबीएसए) अपनी तरफ से सभी प्रसारणकर्ताओं पर कोड आफ एथिक्स और ब्राडकास्टिंग स्टैंडर्डस लागू करने के लिए दबाव डालेगा। यह अथारिटी 2 अक्टूबर से काम करने लगेगा। अथारिटी में कुल नौ सदस्य होंगे जिसकी अध्यक्षता पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा करेंगे।
अन्य जो लोग इसके सदस्य हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं- इतिहासकार और लेखक रामचंद्र गुहा, नासकाम के पूर्व अध्यक्ष किरन कार्निक, जेएनयू के विख्यात सोशियालॉजिस्ट प्रोफेसर दीपांकर गुप्ता, अर्थशास्त्री नितिन देसाई, इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडीटर विनोद कापड़ी, जी न्यूज के ग्रुप एडीटर बीवी राव, स्टार न्यूज के मैनेजिंग एडीटर मिलिंद खाडेकर, टाइम्स नाउ के एडीटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी।
अथारिटी के उद्येश्यों पर दीपांकर गुप्ता का कहना है कि इस अथारिटी का गठन स्व-शासन, स्व-अनुशासन और कोड आफ एथिक्स के लिए किया गया है। इनके अनुपालन पर अथारिटी के सदस्यों की निगाह रहेगी। दूसरा उद्देश्य पत्रकारिता के स्तर को और ज्यादा उन्नत बनाना है। इस प्रक्रिया में अगर कोई दिक्कत आती है तो उसे स्पष्ट व पारदर्शी तरीके से ठीक किया जाएगा। नितिन देसाई का कहना है कि एनबीए में जितने भी न्यूज चैनल हैं, उन सभी पर अथारिटी के नियम-कानून लागू होंगे।
इस बीच, एनबीए की तरफ से जो विज्ञप्ति जारी की गई है उसमें पत्रकारिता, आजादी, चौथा खंभा, सरकार से मुक्ति, स्व अनुशासन, लोकतंत्र...जैसी बड़ी बड़ी बातें की गई हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है कि मीडिया पर किसी भी तरह का नियंत्रण सरकार की तरफ से न हो, वरना मीडिया की विश्वसनीयता खतरे में पड़ जाएगी। बोलने और कहने की जो आजादी है उसके तहत मीडिया को कंटेंट व सेंसरशिप के मामलों में सरकारी नियंत्रण से हमेशा आजाद होना चाहिए। तब मीडिया पर निगाह, नियंत्रण, जवाबदेही जैसे दायित्व खुद ब खुद पत्रकारीय पेशे से जुड़े लोगों के कंधे पर आ जाते हैं। मीडिया के लोगों पर ही मीडिया पर नजर रखे जाने के लिए संस्थाएं व व्यवस्थाएं बनाने की जिम्मेदारी है। इसी उद्देश्य के तहत खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए कई मानदंड तैयार करने व उसके पालन पर नजर रखने की जिम्मेदारी के लिए अथारिटी का गठन किया गया है। एनबीए ने दावा किया है कि अथारिटी गठित करने के उसके फैसले का सरकार ने स्वागत किया है।

एनबीएसए का एक बार फ़िर स्वागत, और उम्मीद की अब पत्रकारिता में आ रही गिरावट में कुछ रुकावट आएगी....

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