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2.9.08

सब मौन हैं

पक्ष तो हर कहीं है
पर विपक्ष कौन है
फिलहाल इस बारे में
सब के सब मौन है,
कौन कितने में बिका
किसने किस से सौदा पटाया
यह बात अब गौण है,
सच्चाई ये है कि
फिलहाल सब मौन है,
चारों ओर बह रही है
विकास की गंगा
हर कोई गौते लगा रहा है
होकर अल्फ नंगा
आदर्श,सिद्धांत सब
गंगाजल में खो गए
पक्ष विपक्ष सब
घी खिचडी हो गए
इस मिलन को रोकेगा कौन
फिलहाल इस बारे में
चारो तरफ़ है मौन।
सभी झंडों का हो गया
अब तो एक ही रंग
यह जादू देखकर जनता
रह गई दंग
उनकी तकलीफों पर
कान धरेगा कौन
फिलहाल इस बारे में
हम सब है मौन।
कौरव पांडवो ने
एक गुट बनाया है
जनता को मारने हेतु
चक्रव्यहू रचाया है,
इस चक्रव्यूह को
अब तोडेगा कौन
इस बारे में बस
चारों तरफ़ है मौन,मौन मौन।
-------गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर।

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

हे मुनिश्रेष्ठ,भड़ासी मौन नहीं रह सकते..... आप देख रहे हैं न कि हरदम कुछ न कुछ पेले रहते हैं... अब हमारा समय आ रहा है भड़ासी उन सबका बैंड बजाएगें जिन्होंने जनता की आवाज दबा रखी थी....
जय जय भड़ास

Anonymous said...

मुनिवर,
भड़ास का नाद कीजिये बस, वैसे भी मौन रहना तो हमने सीखा ही नही है