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7.9.08

कुछ सोच रहे हैं क्या

कुछ सोच रहे हैं क्या

4 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

बहुत सुंदर... बहुत ही सुंदर

उमेश कुमार said...

बिहार की बिभीषिका ने सोच पर पहरा लगा दिया है।
शेष फ़िर कभी.....
www.kamiyaa.com

Anonymous said...

उमेश जी,
सोच पर पहरा मत लगवाइये, सोच सतत चालू रहे तभी समस्याओं का हिस्सा बनते हुए हम उसका निराकरण कर सकते हैं.
वैसे मंथन जी आपकी प्रस्तुति बेहतरीन है.
जय जय भड़ास

यशवंत सिंह yashwant singh said...

इसी को कहते हैं जिजीविषा। पर इन सरकारों को क्या मतलब, वो तो अपने में मगन है, बांध टूट जाए, बाढ़ आ जाए, कुछ नहीं दिखता इन्हें।
यशवंत